मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट सत्र आज से शुरू हो गया है। सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ हुई। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। यह बजट ऐतिहासिक होगा, क्योंकि इस बार का बजट पेपरलेस होगा। वहीं, बजट को लेकर आज आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश किया जाएगा। इस बीच 19 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने गुरुवार कहा, संसद में माननीय राष्ट्रपति का जो अभिभाषण है हम उसका बहिष्कार करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि सरकार ने किसानों की मर्ज़ी के बिना ये 3 बिल जबरदस्ती पास किए थे।
दलों की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी कर ये बातें कही गई है। इसमें सबसे ज्यादा जोर किसान आंदोलन और कृषि कानून पर दिया गया है। इन 19 राजनीतिक दलों में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना के अलावा डीएमके, एसपी, सीपीआई(एम), सीपीआई, आरएसपी, पीडीपी, केरल कांग्रेस,एआईयूडीएफ और तृणमूल कांग्रेस, बीएसपी शामिल है।
शुक्रवार को संसद सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होगा। विपक्ष का कहना है कि वो बजट सत्र में किसानों के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएगी।
अपने संयुक्त बयान में राजनीतिक दलों ने किसान आंदोलन और नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को जमकर घेरा है। कहा है कि देश के किसान लगातार इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। आधी से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है और केंद्र किसानों के साथ ज्यादती कर रही है। दिल्ली की सर्दी में करीब 64 दिनों से अपने अधिकार और न्याय के लिए किसान संघर्ष कर रहे हैं। वहीं, इस आंदोलन में अब तक 155 किसानों की मौत हो चुकी है। दलों ने आरोप लगाया है कि इस बिल को बिना राज्यों के साथ चर्चा के लाया गया। यदि इसे वापस नहीं लिया जाता है तो ये संविधान के संघीय भावनाओं का हनन होगा।