संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले सुबह राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे, पार्टी के नेता आनंद शर्मा, दीपेंदर हुड्डा और कई अन्य सदस्यों ने संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया। बाद में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वे इस मुद्दे को इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि यह सरकार के एक मंत्री का एक समुदाय विशेष के प्रति रुख का विषय है।
उन्होंने कहा कि सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए और केवल भाषण देने से काम नहीं चलेगा। उल्लेखनीय है कि अक्तूबर में सिंह के उस बयान से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था जिसमें उन्होंने फरीदाबाद में दलित को जलाये जाने की घटना के विषय पर कथित तौर पर कहा था कि अगर कोई किसी कुत्ते पर पत्थर फेंकता है तो इसके लिए केंद्र को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इस बयान पर विदेश राज्य मंत्री आलोचलाओं के घेरे में हैं।
सरकार का कहना है कि सिंह ने दलितों के संदर्भ में ऐसा कोई बयान नहीं दिया था और इसलिए विपक्ष को इसे मुद्दा बनाने का कोई कारण नहीं है। केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि सिंह का एक ऐसे बयान के लिए भयादोहन करने का प्रयास किया जा रहा है जो उन्होंने दिया ही नहीं। उन्होंने कहा, राहुलजी अचानक जागते हैं और कोई कार्यक्रम शुरू कर देते हैं। वी के सिंह ने ऐसा कोई बयान दिया ही नहीं। रूडी ने कहा कि सिंह संविधान का सम्मान करते हैं और उन्होंने कहा है कि वह ऐसा कुछ नहीं बोले जैसा कि उनके बारे में कहा जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘राहुलजी मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मंत्री को एक ऐसे बयान से जोड़ा जा रहा है जो उन्होंने दिया ही नहीं है। उनका भयादोहन किया जा रहा है। यह सही नहीं है।’