कश्मीर पर ट्रम्प की ओर से दिए गए बयान को लेकर देश की राजनीति में खलबली मच गई है। लोकसभा में बुधवार को भी कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने ट्रंप के बयान पर प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आकर बयान देने की मांग की और सवाल किया कि वे जवाब क्यों नहीं दे रहे? कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल के सांसदों ने वेल में आकर नारेबाजी करना शुरू कर दिया। उन्होंने सदन में 'प्रधानमंत्री जवाब दो' और 'प्रधानमंत्री सदन में आओ' के नारे लगाए।
कश्मीर का मुद्दा हमारे लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान का सवाल है: राजनाथ सिंह
सदन में हंगामे के बीच सरकार की ओर से सदन में कहा गया कि रक्षा मंत्री ट्रंप के बयान पर जवाब दे देंगे लेकिन इसके बाद भी विपक्षी सांसद पीएम से स्पष्टीकरण की मांग पर अड़े हुए हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में बुधवार को कहा कि कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का प्रश्न ही नहीं उठता है। सिंह ने कहा कि कश्मीर मुद्दा हमारे लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान का सवाल है। हम सब चीजों से समझौता कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते।
शशि थरूर ने सदन में दिया स्थगन प्रस्ताव का नोटिस
वहीं, लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कश्मीर पर डोलाल्ड ट्रंप के बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन में बयान की मांग को लेकर स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। साथ ही कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने देशभर में आदिवासियों की हत्याओं पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
मंगलवार को भी दोनों सदनों में हुआ था हंगामा
ट्रंप के बयान पर मंगलवार को भी संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही शुरू होते ही जमकर हंगामा हुआ था। विपक्षी सांसद सरकार से कश्मीर पर जवाब देने के लिए नारेबाजी करने लगे। राज्यसभा और लोकसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बयान जारी कर अमेरिकी राष्ट्रपति के दावों को खारिज किया था। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से मध्यस्थता की कोई अपील नहीं की है। विदेश मंत्री ने कहा था कि शिमला समझौते और लाहौर संधि के आधार पर ही आगे बढ़ेंगे। कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है और दोनों देश ही मिलकर इसे सुलझाएंगे। लेकिन विदेश मंत्री के बयान के बाद भी हंगामा थमता दिखाई नहीं दे रहा है। विपक्षी दल प्रधानमंत्री से जवाब देने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं।
ट्रम्प ने दिया था ये बयान
सोमवार को ट्रम्प ने यह कह कर भारत को चौंका दिया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के ओसाका में जी-20 सम्मेलन के दौरान कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए उनकी मदद मांगी थी। ट्रम्प ने कहा, ‘‘मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी। और उन्होंने वास्तव में कहा, 'क्या आप मध्यस्थता करना या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?' मैंने कहा, 'कहाँ?' (मोदी ने कहा) 'कश्मीर।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि यह कई वर्ष से चल रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है।’’
उनके इस बयान पर खान ने कहा कि यह 70 साल से चल रहा है। ट्रम्प ने कहा, ‘मुझे लगता है कि वे (भारतीय) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। मुझे लगता है कि आप (खान) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। और यदि मैं सहायता कर सकता हूं, तो मैं मध्यस्थ बनना पसंद करूंगा। यह होना चाहिए.... हमारे पास दो अद्भुत देश हैं जो बहुत होशियार हैं और जिनका नेतृत्व बहुत होशियार हैं, (और वे) इस तरह की समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं, तो मैं ऐसा करने को तैयार हूं।’
ट्रम्प ने कहा, ‘इसलिए इन सभी मुद्दों का हल होना चाहिए। इसलिए, उन्होंने (मोदी) यही करने को कहा। इसलिए हो सकता है हम उनसे बात करें। या मैं उनसे बात करुंगा और हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।’
इमरान ने किया स्वागत
खान ने इन टिप्पणियों का स्वागत करते हुए ट्रम्प से कहा, ‘यदि आप (कश्मीर पर) मध्यस्थता कर सकते हैं तो आपको एक अरब से ज्यादा लोगों की दुआएं आपकों मिलेंगी।’
भारत ने किया खारिज
भारत पहले ही ट्रम्प के दावे को खारिज कर चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर उनकी मध्यस्थता चाही थी। एक दशक से भी ज्यादा वक्त से अमेरिका निरंतर इस बात पर जोर देता रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है और यह दोनों देश पर है कि वह वार्ता की प्रकृति और संभावना पर फैसला लें। भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प का बयान आने के तुरंत बाद उसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मोदी ने कभी भी कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए कुछ नहीं कहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘हमने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा प्रेस को दिये उस बयान को देखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि भारत और पाकिस्तान अनुरोध करते हैं तो वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत का लगातार यही रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी। पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए सीमापार आतंकवाद पर रोक जरूरी होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों के समाधान के लिए शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र का अनुपालन आधार होगा।’’