तीन तलाक के खिलाफ विधेयक राज्य सभा में दूसरे दिन भी पास नहीं हो सका। सदन में सरकार और विपक्षी नेताओं के हंगामे के बीच सदन को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष जहां बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग पर अडिग रहा। वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है।
नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद का कहना है, “हम बिल के खिलाफ नहीं हैं, हम उस प्रावधान के खिलाफ हैं। जिसमें तीन तलाक देने वाले पति को जेल भेजने की बात कही गई है। क्योंकि उसके जेल जाने के बाद परिवार को खाना कौन देगा?”
जबकि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का विपक्ष पर आरोप है कि जान बूझकर तीन तलाक बिल को लटकाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज भी बहुत बड़ी संख्या में तीन तलाक दिया जा रहा है। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
इधर सेलेक्ट कमेटी को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि अगर सेलेक्ट कमेटी को बिल जाता है तो सेलेक्ट कमेटी ऐसी होनी चाहिए जिसमें राज्यसभा का चरित्र दिखता हो। जो प्रस्तावित कमेटी है उसमें राज्यसभा का चरित्र नहीं दिखता है। जेटली ने कहा कि विपक्ष ने एकतरफा नाम तय कर प्रस्ताव रखा है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने जिन 17 नेताओं के नाम कमेटी सदस्य के तौर पर सुझाए, उसमें 6 सांसदों वाली तेदेपा का भी एक सांसद है। जिसे मानने से सत्ता पक्ष ने इंकार कर दिया।
बता दें कि इस बिल को मोदी सरकार ने लोक सभा में तो आसानी से पास करवा लिया। पर, अब राज्य सभा में इसे पास करवाने के लिए सरकार को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सभा सत्ता पक्ष के पास ज्यादा सीट नहीं होने की वजह से कांग्रेस समेत विपक्ष ने आंकड़े की ताकत दिखाई और सरकार बैकफुट पर आ गई। अब देखना होगा कि कल राज्यसभा में सरकार और विपक्ष के बीच बहस का अंजाम क्या होगा।