वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2018-19 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है। सर्वेक्षण में मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में 7.0 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया गया है। उसके अनुसार आर्थिक विकास में आई गिरावट की प्रमुख वजह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में आया संकट है। इसके अलावा फसलों के दाम में गिरने की वजह से 2018-19 में उत्पादन में कमी की भी आशंका जताई गई है। उसके अनुसार निवेश की दर में निचले स्तर पर पहुंच गई है। सर्वे में मोदी सरकार के 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ डॉलर बनाने का रोडमैप भी पेश किया गया है। उसके अनुसार इस लक्ष्य को पाने के लिए जीडीपी ग्रोथ 8.0 फीसदी की दर से होना जरूरी है। इसी तरह राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष 3.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।
देश के विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है आर्थिक सर्वे
दरअसल, आर्थिक सर्वे में देश के विकास का सालाना लेखा-जोखा होता है। इसमें पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था और सरकार की योजनाओं से देश में क्या प्रगति हुई इसकी जानकारी मिलती है। आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने के अगले दिन आम बजट आएगा। ऐसे में आर्थिक सर्वेक्षण से बजट में मोदी सरकार की आर्थिक दिशा और दशा का अंदाजा लगाया जा सकेगा।
ये दस्तावेज वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते है। यह वित्त मंत्रालय का बहुत ही महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। खासकर इसमें सरकार की नीतियों के बारे में जानकारी होती है।
इन सेक्टर्स पर फोकस की उम्मीद
इस बार के आर्थिक सर्वेक्षण में कई जरूरी सेक्टर्स पर फोकस है। खासकर कृषि, नौकरी और निवेश एजेंडे में होगा। वैसे भी आर्थिक सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था, फिस्कल डेवलपमेंट, मॉनेटरी मैनेजमेंट, कृषि, निर्यात, उद्योग, इंफ्रास्टक्चर, सेवा क्षेत्र, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार पर फोकस रहता है।