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चीनी राजदूत से राहुल गांधी की मुलाकात पर सुषमा स्वराज ने उठाए सवाल

चीन से विवाद पर सुषमा स्वराज ने कहा कि सभी को धीरज और संयम बनाए रखना होता है। युद्ध से समाधान नहीं निकलता। सेना को तैयार रखना होता है। धैर्य, भाषा संयम और रणनीतिक रास्तों से हल निकालने की कोशिश की जा रही है।
चीनी राजदूत से राहुल गांधी की मुलाकात पर सुषमा स्वराज ने उठाए सवाल

गुरुवार को राज्यसभा में विदेश नीति पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों और भारत की वर्तमान विदेश नीति की जमकर आलोचना की। डोकलाम में चीन के साथ जारी तनाव, पाकिस्तान और नेपाल के साथ रिश्ते को लेकर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। इस पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जवाब देते हुए सरकार का पक्ष रखा।

सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान और चीन के मुद्दे पर सदन को बताया कि भारत ने दोनों देशों से शांति का माहौल स्थापित करने के लिए हर संभव कोशिश की है। पाकिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते हैं।

चीन के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश के सबसे बड़े विरोधी दल के नेता ने भारत सरकार से स्थिति के बारे में जानने के बजाय चीन के राजदूत को बुलाकर जानकारी मांगी। इस पर आनंद शर्मा ने सफाई देने की कोशिश की। स्वराज ने कहा कि कांग्रेस नेता को पहले सरकार ने जानकारी लेनी चाहिए थी फिर चीन के राजदूत से बात करनी चाहिए थी।

सुषमा स्वराज ने कहा कि सभी को धीरज और संयम बनाए रखना होता है। हमने नक्शे के साथ विपक्षी नेताओं को बातें समझाईं। उन्होंने सदन में भारत सरकार के पक्ष को सदन में बताया। उन्होंने विस्तार से बताया कि चीन और भूटान के बीच में क्या विवाद है और भारत इसमें क्यों शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत इसके हल के लिए प्रयास कर रहा है।

उन्होंने सपा नेता रामगोपाल यादव के युद्ध की तैयारी के बयान पर कहा कि युद्ध से समाधान नहीं निकलता। सेना को तैयार रखना होता है। धैर्य और भाषा संयम और रणनीतिक रास्तों से हल निकालने की कोशिश की जा रही है। अब आर्थिक क्षमता से रास्ते देखे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पड़ोसियों को अपने विकास में मदद चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि अपनी और पड़ोसियों की तरक्की भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मई, 2014 में 116 बिलियन डॉलर का निवेश था अब चीन से 37 फीसदी से ज्यादा पैसा भारत में आया है।

सीमा विवाद पर सभी दलों के सहयोग पर सुषमा स्वराज ने कहा कि 1962 में अटल जी की मांग पर नेहरू जी ने सदन की बैठक बुलाई थी। हमने बिना किसी विपक्षी नेता की मांग के बैठक बुलाई और दो दिनों तक बैठक की। सभी दलों के नेताओं को पूरी स्थिति समझाई गई। बैठक में सभी दलों के नेताओं के प्रश्नों के जवाब दिए। सभी नेता इस मुद्दे पर संतुष्ट थे।

नेपाल के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि 17 साल तक भारत का कोई भी प्रधानमंत्री नेपाल की जमीन पर नहीं गया था और उनमें 11 साल आपकी सरकार थी। 


एचवन वीजा पर उन्होंने कहा कि अमेरिका में पहले वीजा की संख्या 65,000 थी, अटल जी की सरकार में एक लाख हो गई और यूपीए के कार्यकाल में यह फिर 65,000 हो गई। उन्होंने कहा कि स्पाउस वीजा 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने आरंभ किया। इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति की सफलता यह है कि आज अमेरिका और रूस दोनों ही भारत के साथ हैं।


इस्राइल के बारे में स्वराज ने कहा कि इस्राइल हमारा मित्र है लेकिन फिलिस्तीन के कॉज को हम कभी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमने पहली बार जीसीएम बनाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस्राइल सीधे इसलिए गए क्योंकि दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों को 15 साल हुए थे। इसकी शुरुआत राव सरकार ने की थी।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि फिलीस्तीन के राष्ट्रपति अब्बास भारत आए तब उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत से इस्राइल के साथ मुद्दे को सुलझाने की अपील की।

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