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जीएसटी: कांग्रेस के सामने सरकार लाचार, जेटली को आई नेहरू की याद

जीएसटी विधेयक को लेकर सरकार और कांग्रेस के बीच सहमति की उम्मीदें धूमिल पड़ती जा रही हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी मौजूदा संसद सत्र के बेकार चलने जाने की आशंका जता चुके हैं।
जीएसटी: कांग्रेस के सामने सरकार लाचार, जेटली को आई नेहरू की याद

अरूण जेटली ने जीएसटी के मुद्दे पर मतभेदों को दूर करने के लिए कल फिर कांग्रेस के नेताओं से बातचीत की लेकिन इसके बाद भी गतिरोध बना हुआ है। विपक्षी दल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत बस एक मुद्दे पर सीमित नहीं हो सकती। शीतकालीन सत्र समाप्त होने में अब महज सात दिन बाकी रह गये हैं। जेटली और संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कल राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, उप नेता आनंद शर्मा और लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जीएसटी के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया।

आनंद शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि बातचीत अधूरी रही। काम प्रगति पर है। कोई सिलसिलेवार बातचीत नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत सिर्फ एक मुद्दे पर सीमित नहीं रह सकती। 18 महीने तक विपक्ष से बातचीत नहीं करने के बाद सरकार हमसे बस एक विधेयक पर बातचीत करने को लेकर परेशान है। सिर्फ एक विधेयक को लेकर सरकार को इतना परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि अन्य महत्वपूर्ण विधेयक भी लंबित है।

कांग्रेस नेताओं ने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान पांच सालों तक गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री जो अब देश के प्रधानमंत्राी हैं, के विरोध के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो पाया था। संसदीय कार्य मंत्राी नायडू ने कहा मैं यह देख कर निराश हूं कि संसद को बाधित करने के लिए वे कोई न कोई बहाना ढूंढ रहे हैं। हम महत्वपूर्ण मुद्दों और विधेयकों पर चर्चा नहीं कर पा रहे हैं। शर्मा ने इन आरापों पर पलटवार करते हुए कहा कि हम घड़ी-घड़ी नहीं बदल रहे हैं। मोदी सरकार मुद्दे पैदा कर रही है और राज्यों में हमारी सरकारों को अस्थिर कर रही है।

जेटली को आई नेहरू की याद 

इस बीच वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने संसद के शीतकालीन सत्र के भी बेकार जाने की आशंका जताई और इसके लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया है। जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिये विपक्ष को उसकी जिम्‍मेदारी याद दिलाने की कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू के एक भाषण का उल्लेख किया है। 28 मार्च, 1957 को पहली लोकसभा के आखिरी दिन नेहरू के भाषण का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा है कि यह सबको पढ़ना चाहिए। गौरतलब है कि इस भाषण में पंडित नेहरू ने सांसदों की संसद और जनता के प्रति जिम्‍मेदारी पर जोर दिया था। 

संसद की कार्यवाही में बाधा डालने वाले कांग्रेसियों पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि जो लोग पंडित नेहरू की विरासत का दावा करते हैं उन्‍हें खुद से पूछना चाहिए कि वे किस तरह का इतिहास रच रहे हैं। 

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