सोमवार से शुरू हो रहा संसद का अगला सत्र ऐसे समय शुरू हो रहा है जब उत्तराखंड के राजनीतिक संकट को लेकर विवाद पैदा हो गया है और केंद्र की तीखी आलोचना हुई है। 25 अपै्रल से शुरू हो रहा सत्र वास्तव में बजट सत्र का दूसरा चरण है। लेकिन चूंकि 16 मार्च को पहले चरण के समाप्त होने के बाद दोनों सदनों का सत्रावसान कर दिया गया था। इसलिए यह नया सत्र होगा। यह 16वीं लोकसभा का आठवां और राज्यसभा का 239वां सत्र होगा। सत्र के दौरान दस राज्यों में सूखा और जल संकट के मुद्दे को विपक्ष द्वारा जोरशोर से उठाए जाने की संभावना है और इस संबंध में कुछ ने नोटिस भी दिए हैं।
कांग्रेस के उत्तराखंड मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने के आसार हैं और वह इस मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों को साथ ले सकती है। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सभी कामकाज स्थगित कर इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत सभापति हामिद अंसारी को कल एक नोटिस दिया। जिसमें उत्तराखंड की लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के लिए निंदा किए जाने की मांग की गई है। सरकार भी उत्तराखंड मुद्दे पर कांग्रेस के व्यवधान से निपटने के लिए कमर कस रही है। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर आज 27 अप्रैल तक रोक लगा दी। इसके साथ राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में एक नया मोड़ आ गया। कांग्रेस को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कई विपक्षी दल उसका समर्थन करेंगे।
सूखा के मुद्दे पर चर्चा के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और उनके पार्टी सहयोगियों के अलावा बीजद के एयू सिंह देव, जदयू के केसी त्यागी, बसपा के सतीश चंद्र मिश्र, निर्दलीय राजीव चंद्रशेखर तथा मनोनीत केटीएस तुलसी ने सभापति हामिद अंसारी को नोटिस दिया है। नोटिस को कामकाज संबंधी नियमावली के नियम 177 के तहत स्वीकार कर लिया गया है और इस मुद्दे पर 27 अप्रैल को चर्चा होगी। भाकपा ने दावा किया कि सूखा से निपटने के लिए केंद्र के पास कोई गंभीर योजना नहीं है। इसके साथ ही पार्टी ने मांग की कि सरकार को आपदा तथा इससे मुकाबले के लिए तौर तरीकों पर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। कांग्रेस ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सूखा प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलानी चाहिए ताकि स्थिति से युद्धस्तर पर निपटा जा सके।