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आठ राज्यसभा सांसदों के निलंबन पर बोली कांग्रेस- 'लोकतांत्रिक भारत की आवाज दबाना जारी है'

कांग्रेस ने सोमवार को आठ विपक्षी राज्यसभा सांसदों के निलंबन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस...
आठ राज्यसभा सांसदों के निलंबन पर बोली कांग्रेस-  'लोकतांत्रिक भारत की आवाज दबाना जारी है'

कांग्रेस ने सोमवार को आठ विपक्षी राज्यसभा सांसदों के निलंबन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस ने कहा कि शुरुआत में उन्हें चुप कराया गया और बाद में सांसदों को निलंबित करके "लोकतांत्रिक भारत की आवाज दबाना जारी है"।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, "लोकतांत्रिक भारत की आवाज़ दबाना जारी : शुरुआत में उन्हें चुप किया गया, और बाद में काले कृषि कानूनों को लेकर किसानों की चिंताओं की ओर से मुंह फेरकर संसद में सांसदों को निलंबित किया गया... इस 'सर्वज्ञ' सरकार के कभी खत्म नहीं होने वाले घमंड की वजह से पूरे देश के लिए आर्थिक संकट आ गया है..."

एक दिन पहले उच्च सदन में भारी हंगामा करने को लेकर विपक्षी सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित किया गया है।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि देश में कोई संसदीय प्रणाली है या नहीं। सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा, "क्या संसद में किसान की आवाज़ उठाना पाप है? क्या तानाशाहों ने संसद को बंधक बना रखा है?" 

उन्होंने हैशटैग 'किसान विरोधी मोदी' के साथ ट्वीट किया,
"क्या आप सत्ता के प्रभाव में सत्य की आवाज नहीं सुनते हैं? मोदी जी, कितने किसानों की आवाज दबाएंगे ... किसानों की, कार्यकर्ताओं की, छोटी दुकानदार की, संसद की"

इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सांसदों के निलंबन को लेकर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की थी। ममता बनर्जी ने अपने ट्वीट में लिखा, "किसानों के हितों की रक्षा के लिए लड़ने वाले आठ सांसदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण है, और इस निरंकुश सरकार की सोच का परिचायक है कि वह लोकतांत्रिक नियमों और सिद्धांतों का सम्मान नहीं करती... हम नहीं झुकेंगे और इस फासीवादी सरकार से संसद में और सड़कों पर लड़ेंगे..।"

गौरतलब है कि सरकार ने सोमवार को डेरेक ओ ब्रायन (टीएमसी), संजय सिंह (आप), राजीव सातव (कांग्रेस), केके रागेश (सीपीएम), सैयद नजीर हुसैन (कांग्रेस), रिपुन बोरन (कांग्रेस),  डोला सेन (टीएमसी) और एलाराम करीम (सीपीएम) के निलंबन की मांग की।

विरोध के बीच, इस प्रस्ताव को ध्वनि मत से अपनाया गया और सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें सदन छोड़ने के लिए कहा, लेकिन वे उपस्थित रहे और सत्ताधारी दल का विरोध किया।

सभापति ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस भी खारिज कर दिया। नायडू ने कृषि बिलों के पारित होने के दौरान हरिवंश के खिलाफ अनियंत्रित व्यवहार और "धमकियों" की निंदा की।

किसान का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 का किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता, राज्यसभा द्वारा रविवार को ध्वनि मत के साथ पारित किया गया। इस दौरान विपक्षी दलों की ओर से भारी विरोध देखने को मिला।

बता दें कि दो विधेयक पहले ही लोकसभा द्वारा पारित किए जा चुके हैं और अब कानून के रूप में अधिसूचित किए जाने से पहले वे सहमति के लिए राष्ट्रपति के पास जाएंगे।

 

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