नई दिल्ली। संसद में सरकार पर दबाव बनाने की विपक्षी दलों की मुहिम कामयाब होती दिख रही है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर कांग्रेस के यू-टर्न के बाद यह मुद्दा ठंडे बस्ते में जा सकता है जबकि रियल एस्टेट विधेयक की खामियां उजागर होने के बाद राज्य सभा में यह विधेयक स्थगित हो गया है। मौजूदा स्वरूप में जीएसटी विधेयक के समर्थन से कांग्रेस के इन्कार के बाद यह मामला भी अटक सकता है। मंगलवार को लोकसभा में जीएसटी पर तीखी काफी बहस हुई। वित्त मंत्री ने कहा कि सभी कांग्रेस शासित राज्य सरकारों ने विधेयक का समर्थन किया है। तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल सरकार और बीजद शासित ओडिशा सरकार को इससे पहले दिन से ही सबसे अधिक फायदा होगा। जेटली ने कहा कि अगर विधेयक को दोबारा स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाता है तो इसे लागू करने में देरी हो सकती है।
बीजू जनता दल के मेहताब ने जीएसटी विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग करते हुए कहा था कि स्थायी समितियां अपनी प्रासंगिकता खो रही हैं। मौजूदा सरकार द्वारा लाए गए 51 विधेयकों में से 44 विधेयकों को स्थायी समिति में नहीं भेजा गया है। बीजद के अलावा कांग्रेस सहित एआईएडीएमके और सीपीआई (एम) ने भी जीएसटी बिल को संसद की स्थाई समिति के पास भेजने की मांग उठाई। लेकिन डिप्टी स्पीकर एम. थंबीदुरई ने इसे खारिज कर दिया।
जीएसटी विधेयक पर कांग्रेस की आपत्ति
लोकसभा में जीएसटी बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि कांग्रेस जीएसटी का समर्थन करती है, लेकिन जिन प्रावधानों के साथ केंद्र सरकार विधेयक को पास कराने की कोशिश कर रही है, उससे राज्यों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने जिस जीएसटी मसौदे को तैयार किया था, उसमें वोटिंग के लिए एक विशेष प्रावधान था, लेकिन सरकार ने नए बिल में इसे निरस्त कर दिया है।
क्या है जीएसटी
जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद सेंट्रल सेल्स टैक्स, एक्साइज़, लग्जरी टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्ट्रॉय, वैट जैसे अलग-अलग अप्रत्यक्ष करों के बजाय पूरे देश में अप्रत्यक्ष करों की एकसमान व्यवास्था रहेगी। इससे पूरे देश में एक उत्पाद लगभग एकसमान दाम पर मिलेगा और टैक्स की दोहरी मार से भी कारोबार का बचाव होगा। मोदी सरकार अप्रैल 2016 से इस प्रणाली को लागू करना चाहती है। लेकिन इसके कई प्रावधानों को राज्य सरकारों व विपक्षी दलों को ऐतराज है। जीएसटी में केंद्र और राज्यों की बराबर हिस्सेदारी रहेगी।
रियल एस्टेट बिल अटका
लंबी छुट्टी के बाद राजनीति में सक्रिय हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कोशिशें रियल एस्टेट बिल के मामले असर दिखाने लगी हैं। मंगलवार को विपक्षी दलों ने इस बिल के प्रावधानों का कड़ा विरोध किया। चूंकि मोदी सरकार के पास राज्य सभा में बहुमत नहीं है, ऐसे में इसे स्थगित कर दिया गया है। अब सरकार विपक्ष से व्यापक विचार-विमर्श के बाद इसे दोबारा राज्य सभा में पेश करेगी। राज्य सभा में चर्चा के दौरान शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि अब विपक्षी दलों के साथ व्यापक विमर्श करने के बाद ही बिल को संसद पटल पर रखा जाएगा। राज्य सभा में समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल और कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की है।