संसद के मानसून सत्र से एक दिन पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में प्रधानमंत्री संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने के लिए सभी दलों का सहयोग मांगा। उन्होंने सभी दलों से सदन में मुद्दों को उठाने का आग्रह किया क्योंकि लोग उनसे ऐसी उम्मीद करते हैं। बैठक में विभिन्न दलों के नेताओं ने सत्र की कार्यवाही बिना बाधा के चले इस पर अपने विचार रखे।
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सर्वदलीय बैठक सकारात्मक रही। सभी दलों ने सत्र को सुचारू रूप से संचालन के लिए समर्थन देने का वादा किया। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा।
कुमार ने कहा कि कांग्रेस और अन्य दलों ने बैठक के दौरान कई मुद्दे उठाए। वे इन्हें बुधवार को संसद में भी उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है और इनका समाधान चाहती है।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मैंने दिल्ली सरकार को काम नहीं करने देने का मामला उठाया। सभी बातों को सुनने के बाद पीएम ने कहा कि सभी मुद्दों पर मानसून सत्र के दौरान चर्चा की जाएगी।
बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को आरक्षण नहीं प्रदान करने के विषय को उठाया। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि जब तक सरकार उच्च शिक्षा में अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए आरक्षण लागू करने का सदन में आश्वासन नहीं देती है तब तक हम सदन नहीं चलने देंगे।
बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल, कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, एनसीपी के नेता शरद पवार, भाकपा नेता डी राजा आदि मौजूद थे।
इससे पहले सोमवार को 13 विपक्षी दलों ने भी रणनीति तय करने के लिए बैठक की थी। बैठक के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि इस दौरान सभी पार्टियों ने फैसला किया कि वे संसद के सत्र को चलते हुए देखना चाहते हैं। आजाद के अनुसार पिछली बार भी हम चाहते थे कि संसद को दोनों सदन चलें पर सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने संसद नहीं चलने का सारा दोष हमारे मत्थे मढ़ दिया।
सरकार इस सत्र के दौरान 123 वां संविधान संशोधन विधेयक 2017, तीन तलाक से संबंधित विधेयक, ट्रांसजेडर (अधिकार संरक्षण विधेयक 2016), राष्ट्रीय मेडिकल आयोग विधेयक 2017, बच्चों के लिए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा (दूसरा संशोधन) विधेयक के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने जैसे विधेयकों को पारित कराने के लिए लाएगी।