संसद के विशेष सत्र का मंगलवार को यानी आज दूसरा दिन है। आज से नए संसद भवन में कामकाज शिफ्ट हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी सभी सांसदों के साथ पुरानी संसद से नई संसद तक पैदल मार्च करके पहुंचे। इससे पहले, संसद के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों और देशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं। आज हम यहां विकसित भारत का संकल्प दोहराने, संकल्पबद्ध होने और उसको परिपूर्ण करने के लिए जी-जान से जुटने के इरादे से नए भवन की तरफ प्रस्थान कर रहे हैं।
संसद के विशेष सत्र के दौरान पीएम मोदी ने कहा, "आज भारत पांचवी अर्थव्यवस्था पर पहुंचा है लेकिन पहले 3 के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं जिस स्थान पर हूं उस जानकारी के आधार और विश्व के गणमान्य लोगों से बातचीत करता हूं उस आधार पर कह रहा हूं कि दुनिया आश्वस्त है कि भारत टॉप 3 में पहुंचकर रहेगा..."
उन्होंने कहा, मेरी प्रार्थना और सुझाव है कि जब हम नए संसद भवन में जा रहे हैं तो इसकी (पुराना संसद भवन) गरिमा कभी भी कम नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ 'पुराना संसद भवन' कहकर छोड़ दें, ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर आप सब की सहमती हो तो इसे भविष्य में 'संविधान सदन' के नाम से जाना जाए...।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, " हमारे विश्वविद्यालय दुनिया के अंदर टॉप रैंकिंग में आए, अब हमें इसमें पीछे नहीं रहना है... अभी जब G 20 में विश्व के मेहमान आए मैंने वहां नालंदा की तस्वीर रखी थी, जब मैं दुनिया के नेताओं को कहता था कि 1500 साल पहले मेरे देश में उत्तम से उत्तम विश्वविद्यालय हुआ करती थी तो वे सुनते ही रह जाते थे।"
पीएम मोदी ने कहा, "हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सबसे पहले परीपूर्ण करना चाहिए और यह हम से, हर नगारिक से शुरूआत होती है। एक समय ऐसा था कि लोग लिखते थे कि 'मोदी आत्मनिर्भर की बात करता है, कहीं बहुपक्षीय के सामने चुनौती नहीं बन जाएगा।' हमने पांच साल में देखा कि दुनिया भारत के आत्मनिर्भर मॉडल की चर्चा करने लगी है।"
पीएम मोदी ने कहा कि यह भवन और उसमें भी यह सेंट्रल हॉल, एक प्रकार से हमारी भवानाओं से भरा हुआ है। हमें भावुक भी करता है और हमें कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। आजादी के पूर्व यह खंड एक तरह से लाइब्रेरी के रूप में इस्तेमाल होता था। आजादी के बाद में संविधान सभा की बैठकें यहां हुईं और संविधान सभा की बैठकों के द्वारा गहन चर्चा के बाद हमारे संविधान ने यहां आकार लिया। यहीं पर 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतर किया। उस प्रक्रिया का साक्षी यह सेंट्रल हॉल है। इसी सेंट्रल हॉल में हमारे तिरंगे, राष्ट्रगान को अपनाया गया। इस एतिहासिक अवसरों पर आजादी के बाद अनेक अवसर आए जब दोनों सदनों के मिलकर भारत के भाग्य को गणने के लिए सहमती बनाई। 1952 में करीब 42 राष्ट्राध्यक्षों ने इस सेंट्रल हॉल में संबोधित किया है। हमारे राष्ट्रपति महोदयों द्वारा 86 बार संबोधित किया गया... दोनों सदनों ने मिलकर करीब 4000 क़ानून पास किए हैं।
इससे पहले संसद के विशेष सत्र के दौरान उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, "इस महत्वपूर्ण अवसर पर, जब हम अपने संसदीय लोकतंत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की दहलीज पर खड़े हैं, मैं आप सभी को हमारे अभूतपूर्व उत्थान के लिए बधाई देता हूं। हम सभी को इस इतिहास का गवाह बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है क्योंकि हम इस पुराने संसद भवन को अलविदा कह रहे हैं और नए भवन में जा रहे हैं... प्रभावशाली ढंग से आयोजित G 20 के परिणामस्वरूप भारत की वैश्विक शक्ति का प्रदर्शन हुआ। संसद की नई इमारत, भारत मंडपम और यशोभूमि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली नवीनतम बुनियादी ढांचा उत्कृष्ट कृतियां हैं।"
वहीं, राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम सभी आज यहां एक साथ ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में भारत की संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा की बैठक 1946 से 1949 तक हुई थी। आज हम विनम्रतापूर्वक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बीआर अंबेडकर के योगदान को याद कर रहे हैं।
राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम सभी आज यहां एक साथ ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में भारत की संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इसी सेंट्रल हॉल में संविधान सभा की बैठक 1946 से 1949 तक हुई थी। आज हम विनम्रतापूर्वक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बीआर अंबेडकर के योगदान को याद कर रहे हैं।