जनता दल यूनाइटेड के केसी त्यागी ने किसानाें और खेती के संकट को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देश में 300 से ज्यादा जिले सूखा से प्रभावित हैं और इस बार देश में 47 प्रतिशत कम बारिश हुयी। त्यागी ने कहा कि सूखे के कारण गेहूं, तिलहन आदि की कम बुआयी हुयी है। उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में रबी की फसल ही नही बोई गई। उन्होंने कहा कि पूर्ववती सरकार के समय में स्वामीनाथन आयोग बनाया गया था और आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्रा में स्वामीनाथ आयोग की सिफारिशों को लागू करने का वादा किया था।
कांग्रेस के ईएमएस नचियप्पन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि चेन्नई में बाढ़ के संबंध में वह तमिलनाडु सरकार को समय से सूचना देने में नाकाम रही। उन्होंने कहा कि एेसी गंभीर स्थिति में राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से उससे नहीं निपट सकती। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की अपनी सीमाएं होती हैं और अधिकतर संसाधन केंद्र के पास होते हैं, इसलिए बाढ़ जैसी स्थिति में समय से प्रभावी कदम उठाया जाना चाहिए। भाजपा के बासवाराज पाटिल ने भी किसान आयोग के गठन की मांग की। उन्होंने फसल बीमा व्यवस्था की कमियों को दूर करने तथा किसानों को कम से कम ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पानी या चारा की कमी के कारण गाय या किसी अन्य पशु की मौत नहीं होनी चाहिए।
सपा के चंद्रपाल सिंह यादव ने बुंदेलखंड में सूखे की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि वहां खरीफ की फसल पहले ही खराब हो चुकी है और अब रबी की फसल भी प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के लिए एक पैकेज की घोषणा की गयी थी। लेकिन बाद में उसे रोक दिया गया। तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने भी कृषि की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि उनका राज्य पश्चिम बंगाल भी सूखा और बाढ़ दोनों से प्रभावित रहा है। अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन ने कहा कि तमिलनाडु में बाढ़ प्रभावित लोगों को समस्या से उबरने के लिए आसान ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध कराने के बारे में विचार करना चाहिये। उन्होंने कहा कि राज्य में करीब 50,000 परिवार बाढ़ से प्रभावित हुए हैं उन्हें वैकल्पिक आवास के लिए सामाजिक राहत के बतौर पांच लाख करोड़ रपये तत्काल जारी किया जाना चाहिये।