सुबह सदन की बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मसरत की रिहाई का मुद्दा उठाया और कहा कि एक राष्ट्रविरोधी को जेल से रिहा करना बेहद गंभीर मामला है।
उन्होंने कहा, प्रदेश की मुफ्ती मोहम्मद सरकार ने कहा है कि वह लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाए रखने और शांति कायम करने के लिए मसरत को छोड़ रही है।
खड़गे ने कहा, देश यह जानना चाहता है कि क्या मसरत की रिहाई पर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के बीच कोई अंदरूनी चर्चा हुई है? उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि क्या प्रदेश सरकार ने मिलकर यह काम किया है जहां भाजपा के गठबंधन वाली सरकार है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मुफ्ती अकेले आतंकवादी को नहीं छोड़ सकते। उन्होंने इस मसले पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की जिसका कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, जनता दल यू और राजद सदस्यों ने पुरजोर समर्थन किया।
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने लोकसभा में मसरत की रिहाई की आलोचना की और भारतीय जनता पार्टी सरकार पर आरोप लगाया कि वह सत्ता के लिए कट्टरपंथियों से समझौता कर रही है।
लोकसभा में विपक्षी सांसद मसरत की रिहाई पर प्रधानमंत्री से जवाब मांग रहे थे। सांसद प्रधानमंत्री जवाब दो के नारे लगा रहे थे।
संसदीय मामलों के मंत्री वैंकया नायडू ने संसद मे कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने इस मसले में केंद्र सरकार की राय नहीं ली।
मसरत की रिहाई के खिलाफ कांग्रेस सदस्यों ने राज्यसभा में भी खूब हंगामा किया। हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक करीब 20 मिनट के लिए दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा।