उन्होंने कहा कि जहां तक भरोसे का सवाल है तो उन्हें पूरा भरोसा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलेगी। इस बार नहीं तो अगली बार, यह एक सतत प्रक्रिया है।
सुषमा ने वीटो शक्ति के मुद्दे पर कहा कि भारत नए और पुराने स्थायी सदस्यों के बीच कोई भेदभाव नहीं चाहता, दो श्रेणी नहीं चाहता। भारत स्थायी और अस्थायी सदस्यता, दोनों में विस्तार और सुधार चाहता है। नए सदस्यों को भी वही जिम्मेदारी, दायित्व और विशेषाधिकार होने चाहिए जो मौजूदा स्थायी सदस्यों के पास हैं।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों में से चार अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने भारत को स्थायी सदस्यता का पूर्ण समर्थन किया है। इन देशों ने अपने संयुक्त बयान में भी भारत के दावे का समर्थन किया है। एकमात्र चीन इसके विरोध में है, लेकिन उसने भी सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं किया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व में बढ़ते प्रभाव और उन्नत होती हुई अच्छी अर्थव्यवस्था, इन सबके कारण भारत स्थायी सदस्यता के सभी मानकों को पूरा करता है। इसके लिए जी-44 और एल-69 जैसे विभिन्न समूहों के साथ मिलकर और कूटनीतिक माध्यमों से सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत केवल अपनी सदस्यता ही नहीं, बल्कि सुरक्षा परिषद में सुधार और विस्तार भी चाहता है। सुषमा ने लिखित जवाब में जानकारी दी कि अमेरिका तथा ब्रिटेन ने 69वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (2015) की आईजीएन प्रक्रिया के दौरान अपने प्रस्तुतीकरण में नए स्थायी सदस्यों को वीटो अधिकार दिए जाने का विरोध किया है। वहीं, फ्रांस ने इसका समर्थन किया है, जबकि रूस और चीन ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। (एजेंसी)