बुधवार को सदन की बैठक शुरू होते ही बसपा प्रमुख मायावती ने रोहित का मुद्दा उठाते हुए सरकार से जवाब की मांग की। उन्होंने इस मुद्दे से कथित रूप से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे, विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने और घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक समिति में दलित सदस्य को शामिल किए जाने पर सरकार से जवाब की मांग की। सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा को तैयार है और चर्चा के बाद संबंधित मंत्री इस पर जवाब देंगे। लेकिन बसपा के सदस्य सरकार के रूख से संतुष्ट नहीं हुए और वे आसन के समक्ष नारेबाजी करने लगे। बसपा सदस्यों ने केंद्र सरकार, भाजपा और आरएसएस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि यह मुद्दा चर्चा के लिए सूचीबद्ध है और इसे दिन में चर्चा के लिए लिया जाएगा। बसपा प्रमुख रोहित की मौत की जांच समिति में एक दलित सदस्य को शामिल करने की मांग कर रही थीं। उन्होंने सरकार पर इस मुद्दे की अनदेखी करने का आरोप लगाया। इसपर स्मृति ईरानी ने कहा, मैं सभी प्रश्नों का जवाब देने को तैयार हूं और अगर बसपा नेता संतुष्ट नहीं होती हैं तो मैं अपना सिर कलम कर चरणों पर रखने को तैयार हूं। दिन भर उच्च सदन के बार-बार स्थगित होने के बीच मायावती और मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बीच तीखी नोंकझोंक भी हुई।
मायावती ने कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक दलित छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने का मुद्दा गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब से भाजपा केंद्र में सत्ता में आई है आरएसएस की विचारधारा को थोपने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों के मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दलित छात्रों ने भाजपा और कांग्रेस से जुड़े यूनियनों से अपनी समस्याओं को हल नहीं किए जाने पर बाबासाहब अंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन बनाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस को यह पसंद नहीं था और उत्पीड़न जारी रहा और यह घटना हुई। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना मांग की कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के मामले में कथित तौर पर हस्तक्षेप करने वाले दो केंद्रीय मंत्रियों को इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कुलपति को हटाने और घटना की जांच के लिए गठित समिति में एक दलित सदस्य को शामिल किए जाने की भी मांग की। मायावती ने आरोप लगाया कि राजग सरकार को नागपुर और प्रधानमंत्री से सिग्नल मिलने का इतंजार है।
वहीं माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि मायावती ने एक सरल सवाल किया है कि जांच के लिए गठित समिति में कोई दलित है या नहीं और सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी की भी मांग है कि जांच समिति में एक दलित सदस्य को शामिल किया जाना चाहिए। हंगामे के बीच ही मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सदस्यों से तुरंत चर्चा शुरू करने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि रोहित मुद्दे का राजनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। स्मृति ईरानी जब बोल रही थीं, उसी दौरान मायावती भी आसन के समक्ष आ गईं जहां पहले से बसपा के अन्य सदस्य नारेबाजी कर रहे थे।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार चर्चा कराने के लिए तैयार है। चर्चा के बाद संबंधित मंत्री जब जवाब देंगे तो उसमें मायावती द्वारा उठाए मुद्दों का जिक्र भी किया जाएगा। इसलिए पहले चर्चा शुरू कराई जानी चाहिए। चर्चा के दौरान जदयू के के सी त्यागी ने रोहित मुद्दे का परोक्ष रूप से समर्थन करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री को उस नाम से पुकारा जिसे सदन की कार्यवाही से उपसभापति ने भाजपा सदस्यों की आपत्ति के बाद निकाल दिया। बहरहाल, मायावती ने त्यागी पर इस मुद्दे को भटकाने के लिए भाजपा के हाथों में खेलने का आरोप लगाया। हंगामे के दौरान बसपा के सदस्य बार-बार आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे। वे सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे थे। हंगामे के कारण सदन की बैठक कई बार स्थगित होने के बाद अंतत: शाम करीब चार बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।