तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), भाकपा, माकपा, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के संसद भवन स्थित कमरे में उनसे मुलाकात की और इस बात पर चर्चा की कि एकजुट होकर सरकार को कैसे घेरा जाए। इस बैठक में चिर प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस और माकपा मोदी सरकार के खिलाफ एक मंच पर नजर आए। बैठक में जदयू नेता शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन, भाकपा के डी राजा, राजद के प्रेम चंद गुप्ता, झामुमो के सुशील कुमार और वाईएसआर कांग्रेस के एम राजामोहन रेड्डी भी शामिल थे। आजाद के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा में पार्टी के उप नेता आनंद शर्मा भी इस बैठक में शामिल थे।
विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और आम आदमी पार्टी (आप) ने नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार की तीखी आलोचना की है, लेकिन इनके नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। द्रमुक, अन्नाद्रमुक और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं ने भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ विपक्षी नेता बैठक में इसलिए शामिल नहीं हो सके क्योंकि वे दिल्ली में नहीं थे। उन्होंने कहा कि वे एकजुट विपक्ष का हिस्सा हैं। विपक्ष की एकजुटता से आने वाले संसद सत्र में सरकार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। साझा विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर संसद में सरकार को परेशानी में डाल सकता है।