संसद की गृह मामलों की स्थायी समिति में शामिल विपक्षी दलों के सदस्यों ने सवाल किया है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीएस), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम को बदलने वाले तीन विधेयकों पर मसौदा रिपोर्ट स्वीकरने में ‘जल्दबाजी’ क्यों दिखाई जा रही है। इन तीन विधेयकों पर मसौदा रिपोर्ट अपनाने के लिए इस सप्ताह बैठक बुलाई गई है।
यह समिति भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयकों की छानबीन कर रही है। इसने एक नोटिस के माध्यम से अपने सदस्यों को सूचित किया है कि मसौदा रिपोर्ट 27 अक्टूबर को स्वीकार की जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, कम से कम दो विपक्षी सांसदों ने समिति के अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधेयकों की जांच-परख की प्रक्रिया पर चिंता जताई है और उनसे बैठक स्थगित करने का भी आग्रह किया है। दोनों सांसदों ने ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्हें उन तीन रिपोर्ट को पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला क्योंकि ये रिपोर्ट उन्हें 21 अक्टूबर की देर शाम को भेजी गई थीं।
समिति में शामिल विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों के सांसद रिपोर्ट को स्वीकारने के खिलाफ असहमति नोट देने की तैयारी में हैं। इस 30 सदस्यीय समिति में भाजपा के 16 सदस्य हैं। विपक्षी सांसदों ने कम समय के भीतर समिति की बैठक बुलाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं क्योंकि उनकी ओर से सुझाए गए कई विशेषज्ञों को अभी तक समिति के समक्ष नहीं बुलाया गया है।
विपक्षी सांसदों में से एक ने समिति अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में हितधारकों के साथ परामर्श के ‘‘घोर अभाव’ की ओर इशारा किया और विशेषज्ञों की एक सूची साझा की, जिन्हें उनके द्वारा सुझाया गया था।