राजस्थान में नए मुख्यमंत्री को लेकर जारी कयासों के बीच भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री के संबंध में पार्टी के संसदीय बोर्ड का फैसला सभी को मान्य होगा। अरुण सिंह यहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर पहुंचे। जब पत्रकारों ने उनसे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा,‘‘केंद्रीय नेतृत्व जो फैसला लेगा, संसदीय बोर्ड जो फैसला लेगा, वही सबको मान्य होगा।’’
सिंह बाद में पार्टी कार्यालय पहुंचे। जोशी भी पार्टी दफ्तर पहुंचे। पार्टी के कई नवनिर्वाचित विधायक पार्टी के कार्यालय पहुंचना शुरू हो गए हैं।वहीं पार्टी के कुछ नवनिर्वाचित विधायकों द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनके आवास पर मुलाकात का दौर मंगलवार को भी जारी रहा। राजे को मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल माना जा रहा है। राजे खेमे के सूत्रों ने दावा किया कि कल से लेकर अब तक लगभग 50 नवनिर्वाचित विधायक राजे से उनके आवास पर मुलाकात कर चुके हैं। सूत्रों ने कहा,‘‘कल से लेकर लगभग 50 नवनिर्वाचित विधायक राजे से मिल चुके हैं। उनमें से कुछ ने आज मुलाकात की।’’
पार्टी को राज्य में बहुमत मिलने के बाद भाजपा आलाकमान इस समय नया मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया में है। ऐसे समय में विधायकों की राजे से इस मुलाकात को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। राजे से मिलने वाले विधायकों में से अनेक ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया, वहीं कुछ ने यह भी संकेत दिया कि राजे को राज्य का नेतृत्व करना चाहिए। नसीराबाद से भाजपा विधायक रामस्वरूप लांबा ने वसुंधरा राजे से मुलाकात के बाद सोमवार रात कहा, ”प्रधानमंत्री मोदी और वसुंधरा राजे के काम की वजह से ही राजस्थान में भाजपा की वापसी हुई है।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी विधायक मुख्यमंत्री पद के लिए राजे का समर्थन करते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘राजे को सभी विजयी विधायकों का समर्थन प्राप्त है।’’
सोमवार देर शाम तक करीब दो दर्जन विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। इनमें कालीचरण सराफ, बाबू सिंह राठौड़, प्रेम चंद बैरवा, गोविंद रानीपुरिया, कालू लाल मीणा, केके विश्नोई, प्रताप सिंह सिंघवी, गोपीचंद मीणा, बहादुर सिंह कोली, शंकर सिंह रावत, मंजू बाघमार, विजय सिंह चौधरी, पुष्पेंद्र सिंह और शत्रुघ्न गौतम आदि शामिल हैं। वहीं मंगलवार को जोगाराम पटेल, अरुण अमरा राम, अर्जुन गर्ग, संजीव बेनीवाल, अजय सिंह किलक राजे के आवास पर पहुंचे।
पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजे 2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। 2018 में भाजपा की हार और पार्टी के भीतर बदले हालात के बाद ऐसा माना जाने लगा कि राजे को किनारे कर दिया गया है। पहले के चुनावों में वह मुख्यमंत्री का चेहरा थीं लेकिन इस विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की तथा पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘कमल’ को आगे कर चुनाव लड़ा।
राज्य की कुल 200 में से 199 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ जिसके वोटों की गिनती रविवार को की गई। इसमें भाजपा को 115 सीटों के साथ बहुमत मिला जबकि कांग्रेस 69 सीटों पर सिमट गई। तीन सीटें भारत आदिवासी पार्टी, दो सीटें बहुजन समाज पार्टी (बसपा), एक-एक सीट राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। करणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था। इसी सीट पर अब पांच जनवरी को मतदान होगा जबकि वोटों की गिनती आठ जनवरी को होगी।