राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष द्वारा अध्यक्ष के लिए कथित तौर पर 'धृतराष्ट्र' शब्द इस्तेमाल किए जाने को लेकर शुक्रवार को सदन में हंगामा हुआ और कार्यवाही दो बार के लिए स्थगित करनी पड़ी।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली एवं अध्यक्ष वासुदेव देवनानी में मामूली नोकझोंक भी हुई। हालांकि बाद में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष की ओर से आसन को समुचित सम्मान दिए जाने के आश्वासन के बाद सदन की कार्यवाही सुचारू हुई।
सदन में शून्यकाल शुरू होते ही जूली ने बृहस्पतिवार शाम को अनुदान मांगों पर जवाब के दौरान हुए हंगामे और मंत्रियों के आचरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘हम सत्ता पक्ष के दुश्मन नहीं है। संविधान में हमारी जिम्मेदारी तय की गई है। विधानसभा के नियम प्रक्रिया में हमारी जिम्मेदारी तय की गई है।'’
उन्होंने मंत्रियों एवं सत्ता पक्ष के विधायकों के आचरण पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘‘हम प्रश्न कुछ पूछते हैं, उत्तर कुछ और आते हैं।’’
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कहा, ‘‘आपका झुकाव हमारी तरफ होना चाहिए लेकिन आपका झुकाव उधर रहता है। हम उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय तो जा नहीं सकते। हम अपनी बात आपको ही कह सकते हैं। आपका संरक्षण चाहते हैं।’’
इस पर संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा, ‘‘हमारी राजस्थान विधानसभा की परंपराएं बहुत स्वस्थ रही हैं। आसन पर कोई आक्षेप नहीं लगाया जाए। टीका-टिप्पणी नहीं की जाए। आसन के संबंध में कोई अमर्यादित शब्द न हम कहें और न आप कहें। आसन की गरिमा आप और दोनों मिलकर रखेंगे तभी रहेगी।’’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी मंत्री पूरा जवाब देते हैं और पूरी तैयारी के साथ आते हैं।
बृहस्पतिवार को बहिर्गमन कर सदन से बाहर जाने के बाद जूली द्वारा अध्यक्ष के लिए 'धृतराष्ट्र' शब्द के इस्तेमाल से नाराज देवनानी ने कहा, ‘‘प्रतिपक्ष के नेता अगर आसन के लिए धृतराष्ट्र शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो मैं उसकी निंदा करता हूं। उनको माफी मांगनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी को लगता है कि मैं निष्पक्ष नहीं हूं तो आप (अविश्वास) प्रस्ताव ला सकते हैं। मुझे पद का मोह नहीं है। आपने सर्वसम्मति से मुझे यह पद दिया है। मैं नियमों, परंपराओं और मर्यादाओं के अनुसार चलूंगा।'’
इसके बाद जूली ने कहा, ‘‘आसन का निरादर करने की हमारी कोई मंशा नहीं है। हमारी बात सुनकर यदि गलत शब्द निकाल दिए जाते तो बात इतनी नहीं बढ़ती। हम कतई नहीं चाहते कि आसन का कोई अपमान हो या निंदा हो। हम आसन का संरक्षण चाहते हैं। अगर हमारी किसी बात से आपको कोई ठेस पहुंची है तो उसके लिए मैं माफी चाहता हूं।’’
हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘रही बात अविश्वास प्रस्ताव की, तो कभी जरूरत पड़ी तो वह भी लेकर आएंगे।’’
इस पर अध्यक्ष देवनानी ने कहा, ‘‘लेकर आइए, मैं आपको चुनौती देता हूं।’’
इसके बाद सदन में हंगामा होने लगा। हंगामा थमते न देख देवनानी ने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। बाद में भोजन काल को देखते हुए स्थगन दो बजे तक बढ़ाया गया। दो बजे आए सभापति ने कार्यवाही आधे घंटे के लिए और स्थगित कर दी।
दरअसल बृहस्पतिवार शाम को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत की एक टिप्पणी पर कांग्रेस के विधायकों ने आपत्ति जताते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। जूली ने मंत्री की टिप्पणी को असंसदीय बताते हुए कार्यवाही से हटाने की मांग की। अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि कुछ भी असंसदीय होगा तो वह उसे हटवा देंगे। लेकिन विपक्ष के सदस्यों ने नारेबाजी के बाद सदन से बहिर्गमन कर दिया।
इसके बाद सदन बैठा तो सत्ता पक्ष एवं विपक्ष ने आसन का समुचित सम्मान करने का आश्वासन देवनानी को दिया। कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ‘‘मैं प्रतिपक्ष की ओर से आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि इस आसन की गरिमा हमारी गरिमा है, इस सदन की गरिमा है, इस प्रदेश की गरिमा है... इसको हम बनाकर रखेंगे, कभी भी इसमें किसी तरह की कोताही नहीं होगी।’’
सत्ता पक्ष की ओर से संसदीय कार्यमंत्री पटेल ने कहा,‘‘मैं इस सदन में सत्ता पक्ष के सभी माननीय सदस्यों की ओर से आपको यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे लिए आपका आसन विक्रमादित्य के आसन से कम नहीं है। हमने कभी भी आसन के किसी भी आदेश की अवहेलना करने की कोशिश नहीं की और न हम भविष्य में करेंगे। यह आसन हमारे लिए बहुत बड़ी चीज है।’’
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष का भी समुचित सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा,‘‘संविधान में प्रदत्त अधिकारों एवं हमारी स्वच्छ परंपराओं के अनुसार सदन के नेता के बाद हमारे लिए कोई सम्मानीय है तो नेता प्रतिपक्ष है। हम दोनों को बराबर सम्मान से देखते हैं। आप जब भी खड़े होंगे सत्ता पक्ष का कोई सदस्य टोकाटाकी नहीं करेगा, मान-सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाएगा।’’
देवनानी ने कहा कि उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने की कोशिश की है। उन्होंने कहा,‘‘दोनों पक्षों को मैं पहले दिन ही कहा था कि जब मैं कॉपी जांचता हूं तो बाहर किसी का नाम या रोल नंबर नहीं होता। निष्पक्ष रूप से मैं लिखे के आधार पर अंक देता हूं। यही मैंने व्यवहार में लाने का प्रयास किया।’’
देवनानी ने व्यवस्था दी,‘‘मंत्री अविनाश गहलोत ने अपने जवाबी वक्तव्य में जो कुछ बातें कहीं, नेता प्रतिपक्ष ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उन्हें तथा विधायक हरीश चौधरी द्वारा पढ़ी गई कविता को मैं आपत्ति के आधार पर कार्यवाही से निकाल रहा हूं।’’
विधानसभा का बजट सत्र इस समय चल रहा है।