राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने को केंद्र की भाजपा सरकार ने "ऐतिहासिक" बताया, लेकिन इसका असर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) पर खासा पड़ा है।
जेडीयू के पांच वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के इस विधेयक पर समर्थन को लेकर असहमति जताते हुए इस्तीफा दे दिया है। सबसे ताज़ा नाम नदीन अख्तर का है, जिन्होंने पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की सूची में पांचवां स्थान लिया है। उनसे पहले रज्जू नय्यर, तबरेज सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शहनवाज़ मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी से नाता तोड़ा।
रज्जू नय्यर ने अपने इस्तीफे में लिखा, “मैं जेडीयू द्वारा इस काले कानून का समर्थन किए जाने से गहरे आहत हूं, जो मुस्लिम समुदाय को दबाने वाला है। मैं जेडीयू युवा के पूर्व राज्य सचिव और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंचाया जाए।
तबरेज सिद्दीकी ने नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा, “पार्टी ने मुस्लिम समुदाय के विश्वास को तोड़ा है।”
मोहम्मद शहनवाज़ मलिक ने लिखा, “हमें विश्वास था कि आप एक धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के प्रतीक हैं, लेकिन अब यह विश्वास टूट गया है।” वहीं मोहम्मद कासिम अंसारी ने कहा, “यह विधेयक लाखों मुसलमानों की भावनाओं को गहराई से आहत करता है।”
इन इस्तीफों से न सिर्फ पार्टी में अंदरूनी कलह का संकेत मिला है, बल्कि यह जेडीयू के लिए उस वक्त बड़ा झटका है जब बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक शुक्रवार को राज्यसभा में 128 मतों के समर्थन और 95 विरोध में पारित हुआ। विपक्ष ने इस विधेयक को “मुस्लिम विरोधी” और “असंवैधानिक” करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कांग्रेस और एआईएमआईएम इसके खिलाफ कोर्ट का रुख कर चुकी हैं।