सुप्रीम कोर्ट से अयोग्य साबित हुए कर्नाटक कांग्रेस-जेडीएस के 16 विधायकों ने गुरुवार को भाजपा का दामन थाम लिया। इन सभी विधायकों ने आज मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की मौजूदगी में बीजेपी में प्रवेश किया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इन विधायकों की अयोग्यता बरकरार रखी थी। हालांकि अयोग्य साबित हुए इन विधायकों को अदालत ने चुनाव लड़ने की अनुमति दी यानि पांच दिसंबर को होने वाले उपचुनाव में ये सभी हिस्सा ले सकते हैं। ऐसे में इनके भाजपा में शामिल होने को प्रदेश की राजनीतिक में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को कर्नाटक के 17 बागी विधायकों की याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा था कि उन्हें विधानसभा अध्यक्ष की ओर से अयोग्य करार देने का फैसला सही था, हालांकि पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य ठहराने का फैसला उचित नहीं था। इस प्रकार शीर्ष अदालत के फैसले से अयोग्य करार विधायकों के 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव में भाग लेने का रास्ता साफ हो गया।
जेडीएस-कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ये अयोग्य विधायक
प्रताप गौड़ा पाटिल (मास्की), बी सी पाटिल (हिरेकर), शिवराम हेब्बार (येलापुर), एस टी सोमाशेकर (यशवंतपुर), बयारटी बसवराज (के.आर. पुरम), आनंद सिंह (विजयनगर), एन मुनिरत्न (आर. आर. नगर), के सुधाकर (चिक्काबल्लपुरा), एमटीबी नागराज (होसकोटे), श्रीमंत पाटिल (कागवाड), रमेश जारखोली (गोकक), महेश कुमतल्ली (अथानी) और आर शंकर (रानीबेनूर)। के गोपालैया (महालक्ष्मी लेआउट), एएच विश्वनाथ (हुनसुर) और केसी नारायण गौड़ा (के.आर. पेट)।
कुमारस्वामी सरकार को गिराने में थी अहम भूमिका
दरअसल, कांग्रेस के 14 और जेडीएस के 3 विधायकों के इस्तीफा देने के कारण जुलाई में एचडी कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी, जिसके बाद भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में सरकार बनाई। उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों को अयोग्य करार देकर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इन बागी विधायकों ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया है।
राज्य में खाली हैं 17 सीटें
विधायकों के इस्तीफे से राज्य में 17 सीटें खाली हैं मगर कोर्ट में केस लंबित होने के कारण राजराजेश्वरी नगर और मस्की विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई है। 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए 18 नवंबर तक नामांकन होगा। नतीजे 9 दिसंबर को आएंगे।
भाजपा को जितनी होंगी 9 सीटें
फिलहाल कर्नाटक विधानसभा में कुल 207 विधायक हैं, जिसमें से 104 बीजेपी के हैं, जो कि बहुमत के लिए काफी हैं। लेकिन 15 सीटों पर नतीजे आने के बाद कर्नाटक विधानसभा में विधायकों की संख्या 222 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को बहुमत के लिए 113 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा। इसलिए कर्नाटक में सरकार बचाने के इस उपचुनाव में बीजपी को कम से कम 9 सीटें जितनी होंगी।