बल्कि कुछ मांगे थी उसको उन्होने पार्टी नेताओं के सामने रखा था। लेकिन पार्टी इन मांगों को इस्तीफा मान रही है।
दोनो पक्षों के दावे के बाद स्थिति साफ नहीं हो पा रही है कि इस्तीफा दिया है या नहीं। आप नेताओं में इससे दो राय बनती जा रही है। आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास कहते हैं कि 17 मार्च को ही योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण ने कुछ मांगों के साथ इस्तीफा दे दिया। जिसे पार्टी ने स्वीकार कर लिया। वहीं योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण का दावा है कि अगर उन्होने इस्तीफा दिया है तो उसे सार्वजनिक किया जाए। योगेन्द्र का कहना है कि अगर हमने इस्तीफा दिया है तो उसकी कापी दिखाई जाए। योगेन्द्र यादव का कहना है कि पांच बिंदुओं वाले नोट में हमने पार्टी में गतिरोध खत्म करने के प्रस्ताव दिए जिसमें हमने मांग की कि पार्टी स्वेच्छा से आरटीआई को स्वीकार करे, कार्यकर्ताओं को मुख्य निर्णय करने में शामिल करे, आचार संहिता को बनाए रखने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त को सक्रिय करे, राज्य इकाइयों की स्वायत्तता सुनिश्चित करे और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रिक्त पदों को राष्ट्रीय परिषद द्वारा गुप्त मतदान से भरा जाए। लेकिन गतिरोध के इस प्रस्ताव को आम आदमी पार्टी के नेताओं ने इस्तीफा मान लिया।
इस्तीफा दिया नहीं, फिर भी स्वीकार
आम आदमी पार्टी में योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण के इस्तीफे को लेकर घमासान मच गया है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के मुताबिक दोनों नेताओं का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है जबकि योगेन्द्र और प्रशांत का कहना है कि उन्होने इस्तीफा नहीं दिया है।
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