सत्तर वर्षीय पूर्व सैन्यकर्मी अपने गांव के सरपंच भी रह चुके थे और उन्होंने नयी दिल्ली में एक पार्क में मंगलवार शाम को विषाक्त पदार्थ का सेवन कर अपनी जान दे दी थी। इस घटना ने कल एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप तब ले लिया जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, केजरीवाल एवं अन्य विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर नरेन्द्र मोदी सरकार पर पर हमला बोला। राहुल, केजरीवाल एवं अन्य नेताओं को उस अस्पताल में जाने से पुलिस द्वारा रोके जाने पर देर रात तक राजनीतिक घटनाक्रम चलता रहा जिसमें ग्रेवाल के शव को रखा गया था।
केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, मैं चाहता हूं कि लोग उनकी लड़ाई को आगे ले जाएं। हमलोग अपनी अंतिम सांस तक लड़ेंगे और केंद्र से ओआरओपी लेकर रहेंगे। हमारे सैनिकों का जो भी बकाया है उसे पाने के वे हकदार हैं। इस मुद्दे पर आप के राजनीति करने के आरोपों पर केजरीवाल ने कहा, हां, हम राजनीति कर रहे हैं। सैनिकों को उनके अधिकार दिलाने के लिए हम राजनीति कर रहे हैं जबकि मोदीजी उन्हें उनके हक से महरूम करने के लिए राजनीति कर रहे हैं। आप सरकार की मुआवजा नीति के तहत दिल्ली में रहने वाले शहीदों के परिवारों को एक करोड़ रूपये की मुआवजा राशि दी जाती है। केजरीवाल बार बार प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी से समूचे देश में यही नीति लागू करने का अनुरोध करते रहे हैं।
सड़क मार्ग से आए राहुल ने ग्रेवाल के शोकसंतप्त परिजनों के साथ कुछ समय बिताया। उन्हें ग्रेवाल के परिजनों तक पहुंचने के लिए भीड़ के साथ काफी मशक्कत करनी पड़ी। भीड़ में रामकिशन अमर रहे, के नारे लग रहे थे।इस अवसर पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर, कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी, पार्टी नेता शैलजा एवं कुलदीप बिश्नोई भी उपस्थित थे।
कांग्रेस नेता कमलनाथ एवं रणदीप सिंह सुरजेवाला एवं द्रमुक नेता डेरेक ओ ब्रायन भी गांव पहुंच गये थे। ग्रेवाल की अंत्येष्टि पर केजरीवाल भी गये थे। उन्हें बुधवार देर रात तक दिल्ली पुलिस ने चार घंटे तक उस समय हिरासत में रखा जब वह लेडी हार्डिंग अस्पताल में पूर्व सैन्यकर्मी के परिजनों से मिलने का प्रयास कर रहे थे।
भाजपा सांसद रतनलाल कटारिया एवं धर्मवीर एवं हरियाणा के मंत्री कृष्णलाल ने मृतक के परिजनों के साथ कुछ समय बिताया और इसके बाद वे मौके से चले गये। पुलिस ने बताया कि ग्रेवाल कुछ अन्य पूर्व सैन्यकर्मियों को ओरओपी के मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपना था। मित्रों के अनुसार ग्रेवाल कुछ समय से इस मुद्दे को लेकर परेशान था।
ग्रेवाल 31 अक्तूबर एवं 1 नवंबर के बीच की रात में भिवानी से अपने तीन दोस्तों के साथ दिल्ली आये थे। मंगलवार शाम को उन्होंने कथित रूप से विषाक्त गोलियां खा लीं। उनके एक दोस्त ने 100 नबंर पर पुलिस को फोन किया और पुलिसकर्मी उसे तुरंत राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गये। पुलिस के अनुसार दुर्भाग्यवश उसके कुछ ही घंटे बाद उनकी मौत हो गयी। अपने पुत्र प्रदीप के साथ हुई अंतिम फोन बातचीत में ग्रेवाल ने कहा कि जवानों के साथ अन्याय हो रहा है। मैं यह लड़ाई :ओआरओपी: लड़ना चाहता था। अब यह जवानों के उपर है कि वह क्या करते हैं।
विपक्षी दल सूबेदार ग्रेवाल की आत्महत्या को मोदी सरकार पर ओआरओपी को लागू करने में विफल रहने के लिए मोदी सरकार पर आरोप लगाने के लिए इसे मुद्दे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह मुद्दा कांगे्रस के 40 सालों के शासनकाल में लंबित ही रहा। ग्रेवाल के परिवार में उसकी पत्नी, पांच पुत्र एवं दो पुत्रियां है। उन्होंने सेना की इंफेंटी बटालियन में छह साल तथा डिफेंस सिक्योरिटी फोर्स में 31 साल तक काम किया था। सूबेदार बनने के बाद वह 2004 में सेवानिवृत्त हुए थे। वह 2006 में गांव के सरपंच बने थे। उनका एक पुत्र सेना में हवलदार और सबसे बड़ा पुत्र हरियाणा पुलिस में है। भाषा एजेंसी