पिछले दिनों एससी एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में हुए भारत बंद को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती बेहद उत्साहित दिख रही है। उन्होंने भारत बंद को समर्थन देने का भी ऐलान किया था। लेकिन एक ओर जहां वह इस प्रदर्थन को सफल बता रही हैं, वहीं अपनी चिंताएं भी जाहिर कर रही हैं।
रविवार को मायवती ने कहा है, “भारत बंद का विरोध काफी हद तक सफल रहा। इसने भाजपा को डरा दिया है और भाजपा शासित राज्यों में अधिकारियों ने दलितों के प्रति अत्याचार शुरू कर दिया है। कई दलित और उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार किया जा रहा है।”
#BharatBandh protest was largely successful. This has left the BJP scared and authorities in the BJP ruled states have started atrocities towards dalits. Many dalits and members of their families are being arrested : BSP Chief Mayawati pic.twitter.com/WHRIWnjUIQ
— ANI UP (@ANINewsUP) April 8, 2018
भाजपा के दलित सांसदों पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा, “मुझे भरोसा है कि देश के स्वाभिमानी दलित समाज के स्वार्थी और बिकाऊ मानसिकता वाले सांसदों को माफ करने वाले नहीं है।”
Mujhe bharosa hai ki desh ke swabhimaani dalit samaaj ke log swaarthi aur bekau maansikta wale sansadon (BJP dalit MPs) ko maaf karne wale nahi hain: BSP Chief Mayawati pic.twitter.com/8rUZysxUvK
— ANI UP (@ANINewsUP) April 8, 2018
इससे पहले मायावती ने कहा था, 'मैं एससी-एसटी एक्ट के विरोध में प्रदर्शन का समर्थन करती हूं। मुझे पता चला है कि कुछ लोग प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैला रहे हैं। मैं इसकी कड़ी निंदा करती हूं। इस हिंसा के पीछे हमारी पार्टी नहीं है। जो लोग हिंसा फैला रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।'
बता दें कि अनुसूचित जाति/ जनजाति एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान जमकर हिंसा हुई। इस दौरान कम से कम 10 लोगों की मौत हुई, जबकि कई लोग घायल हुए। एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से किए गए बदलाव को लेकर जहां दलित संगठनों में रोष है वहीं सियासी पार्टियों में भी घमासान मचा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मचा बवाल?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस एक्ट के तहत कानून का दुरुपयोग हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया। इसके अलावा इसके तहत दर्ज होने वाले मामलों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को सात दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे एक्शन लेना चाहिए। अगर अभियुक्त सरकारी कर्मचारी है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए उसे नियुक्त करने वाले अधिकारी की सहमति जरूरी होगी। उन्हें यह लिख कर देना होगा कि उनकी गिरफ्तारी क्यों हो रही है। अगर अभियुक्त सरकारी कर्मचारी नहीं है तो गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की सहमति जरूरी होगी। दरअसल, इससे पहले ऐसे मामले में सीधे गिरफ्तारी हो जाती थी।