बसपा की घोषित 100 उम्मीदवारों की पहली सूची में जहां 36 मुसलमान थे, वहीं दूसरी सूची में इस कौम के 22 लोगों को टिकट दिया गया था। तीसरी सूची में 24 मुसलमानों को टिकट दिए गए हैं। प्रदेश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत है और मुस्लिम मतदाता प्रदेश की करीब 125 सीटों पर जीत-हार तय कर सकते हैं। दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण के समीकरण को लेकर चुनाव जीतने की जुगत लगा रही बसपा ने मुसलमानों के एकजुट वोट की ताकत को समझौते हुए इस कौम के लोगों का चुनाव टिकट वितरण में खास ख्याल रखा है।
मायावती लगभग हर प्रेस कांफ्रेंस में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के एकमात्र मजबूत विरोधी के तौर पर पेश करती हैं और वह मुसलमानों से कहती हैं कि सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए मुस्लिम कौम सपा और कांग्रेस को वोट देकर उसे बेकार करने के बजाय बसपा को एकजुट होकर वोट दें। (एजेंसी)