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सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केजरीवाल ने संविधान और दिल्ली के लोगों के खिलाफ बताया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर फैसला सुना दिया...
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केजरीवाल ने संविधान और दिल्ली के लोगों के खिलाफ बताया

सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर फैसला सुना दिया है। इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह फैसला न केवल दिल्ली के लोगों के खिलाफ बल्कि संविधान के भी खिलाफ है।

केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस फैसले को दिल्ली के साथ अन्याय बताया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का मुख्यमंत्री एक चपरासी का भी ट्रांसफर नहीं कर सकता। मुख्यमंत्री के पास अगर एक चपरासी तक को ट्रांसफर करने की ताकत नही है तो मुख्यमंत्री कैसे काम करेगा?  यह फैसला दिल्ली के लोगों के विश्वास के खिलाफ अन्याय है और बहुत ही गलत फैसला है।

'क्या हर बात के लिए भाजपा के पास जाऊं'

सीएम केजरीवाल ने कहा, 'अगर किसी ऐसे अधिकारी की नियुक्ति कर दी जाए जो हमारी बात न सुने तो मोहल्ला क्लीनिक कैसे चलेगी? अगर कोई कहे कि इसने भ्रष्टाचार किया है तो मैं क्या करूं? क्या मैं भाजपा से बोलूं कि यह मामला देखो? यह सब भाजपा ही तो करवा रही है। यह फैसला संविधान और जनतंत्र के खिलाफ है।'

'संसद में जाने के लिए करें मजबूत'

केजरीवाल ने कहा कि हम दिल्ली की जनता से अपील करते हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटें आम आदमी पार्टी को दें। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। यहां के लोगों को अधिकार मिलना चाहिए। हम संसद में लड़कर बाध्य करेंगे कि दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि हम इसका कानूनी समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। मैं दिल्ली की जनता से कहना चाहूंगा केजरीवाल बहुत छोटा आदमी है। चार साल में हमने और मंत्रियों ने लड़-लड़कर काम करवाए हैं। फाइलें क्लियर करवाने के लिए अगर हम लोगों को दस दिन तक अनशन करना पड़े तो दिल्ली कैसे चलेगी?

सेवाओं पर किसका नियंत्रण हो, इसे लेकर जजों में मतभेद

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। हालांकि दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण किसके पास है, इसपर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की राय अलग-अलग रही। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अपना खंडित फैसला बड़ी बेंच के पास भेज दिया। हालांकि दो सदस्यीय बेंच भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी), राजस्व, जांच आयोग और लोक अभियोजक की नियुक्ति के मुद्दे पर सहमत हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस अधिसूचना को बरकरार रखा है कि दिल्ली सरकार का एसीबी भ्रष्टाचार के मामलों में उसके कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि केंद्र के पास जांच आयोग नियुक्त करने का अधिकार होगा। फैसले के तहत स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा। वहीं, ऐंटी-करप्शन ब्रांच केंद्र के अधीन रहेगी क्योंकि पुलिस केंद्र के पास है। रेवेन्यू पर एलजी की सहमति लेनी होगी। इलेक्ट्रिसिटी मामले में डायरेक्टर की नियुक्ति सीएम के पास होगी।

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