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स्पीकर ने ईवीएम जैसी मशीन सदन में लाने की मंजूरी आखिर कैसे दी?

ईवीएम जैसी मशीन दिल्ली विधानसभा के सदन में लाने की मंजूरी व डेमो देने को लेकर आप सरकार कटघरे में आ गई है। विशेष सत्र के नाम पर डेमो देना कितना जायज है। आप सरकार पिछले दो साल में जिस तरह विशेष सत्र बुलाती रही है उससे सत्र की प्रासंगिकता पर भी सवाल खड़े होते हैं।
स्पीकर ने ईवीएम जैसी मशीन सदन में लाने की मंजूरी आखिर कैसे दी?

विधानसभा का विशेष  सत्र बुलाकर ईवीएम का डेमो देना कितना जायज है, इसे लेकर संविधान विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि डेमो देने में विशेष सत्र जैसा कोई मुद्दा नजर नहीं आया। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि विधानसभा अध्यक्ष ने ईवीएम जैसी मशीन सदन में लाने की मंजूरी आखिर कैसे दी?

शीला दीक्षित सरकार ने केवल विशेष मुद्दों पर तीन विशेष सत्र बुलाए थे जिसमें दिल्ली में सीएनजी बसों पर रोक, उद्योगों की रिहयाशी इलाकों में पाबंदी व दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा वगैरह शामिल था जिसमें सीधे तौर पर जनता से जु़ड़े मुद्दे थे लेकिन आप सरकार जिस तरह विशेष सत्र बुलाती रही है उससे इनकी प्रासंगिकता सवालों के घेरे में है।

आपात सत्र में गंभीर विषयों पर चर्चा होती है लेकिन इस सत्र में इस तरह कुछ दिखाई नहीं दिया। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या विधानसभा नियमों के अऩुरूप चल रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस तरह सत्र बुलाकर गैर गंभीर विषय उठाए जाते रहे तो भविष्य में यह परेशानी का सबब बन सकते हैं।

विधानसभा के एक पूर्व सचिव ने बताया कि लोकसभा या विधानसभा में किसी भी तरह की बाहर की चीज लाने की इजाजत नहीं दी जा सकती लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने कैसे ईवीएम जैसी मशीन सदन में लाने की मंजूरी दी। इससे पूर्व सदन में एक सदस्य शराब की दो बोतल लेकर आ गया था वह भी चुपके से तो तब उसकी सदस्यता जाते जाते बची थी। ईवीएम जैसी मशीन से सदन में लाने की मंजूरी देकर गलत परंपरा को बढ़ावा मिल सकता है।

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