पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने में देरी केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के खिलाफ एक ‘‘पाप’’ है।
उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा से विधायक लोन ने सुरक्षा संबंधी सभी बैठकों में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को शामिल करने की मांग भी की।
लोन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘हमारे बीच जो भी राजनीतिक मतभेद हैं, उसके बावजूद केंद्र सरकार को कुछ मुद्दों पर तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है। राज्य का दर्जा देने में एक पल की भी देरी जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ एक पाप है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा ‘‘हमारा अधिकार’’ है, न कि ‘‘खैरात’’ जिस पर केंद्र सरकार विचार करेगी।
लोन ने सवाल किया, ‘‘उन्हें इसमें देरी क्यों करनी चाहिए? पहली बात तो ये कि उन्होंने इसे वापस ही क्यों लिया?’’ पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राज्य के दर्जे पर याचिका का निस्तारण करते हुए एक सवाल अनुत्तरित छोड़ दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलना कानून के दायरे में था या कानून के दायरे से बाहर? उन्होंने इस सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया? उन्होंने राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने का समर्थन नहीं किया, क्योंकि ऐसा न हो कि यह एक मिसाल बन जाए। फिर भी हम अभी भी राज्य के दर्जे से वंचित हैं।’’
लोन ने कहा कि अंतरिम तौर पर, जब तक राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता, जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री को सुरक्षा से जुड़ी सभी बैठकों का हिस्सा होना चाहिए, क्योंकि उन्हें बाहर रखना पूरी चुनावी प्रक्रिया को ‘‘अपमानित’’ करने के समान है।
उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा पर रणनीति बनाने में स्थानीय इनपुट अपरिहार्य हैं। मुख्यमंत्री कोई भी हो - जम्मू कश्मीर के लोगों ने भारी संख्या में मतदान किया है। और केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे का इस्तेमाल (जम्मू कश्मीर) सरकार को महत्वपूर्ण मुद्दों से बाहर रखने का बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री को सभी विचार-विमर्श का हिस्सा होना चाहिए। मुख्यमंत्री को बाहर रखना पूरी चुनावी प्रक्रिया को अपमानित करने के समान है।’’
दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अब्दुल्ला की बैठकों का जिक्र करते हुए लोन ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को केंद्र के साथ मिलकर काम करना होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें प्रधानमंत्री या अन्य मंत्रियों से मिलना होता है लेकिन संवैधानिक कर्तव्यों और जय-जयकार के बीच अंतर होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और हमारे मुख्यमंत्री के लिए एक बिन मांगी सलाह। अच्छा होता यदि आपने सभी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ साठगांठ करने का आरोप न लगाया होता। छुआछूत की वह अवधारणा, पाखंड और अब जय-जयकार। यह घोर पतन है।’’