भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद वृंदा करात ने तीन नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए गुरूवार को कहा कि केंद्र की जन विरोधी नीतियों के कारण किसानों एवं मजदूरों में असंतोष बढ़ता जा रहा है जो मोदी सरकार के पतन का कारण बनेगा।
वृंदा करात ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बातें समझने के लिए अब एक नयी डिक्शनरी बनानी पडे़गी। क्योंकि वे जो बातें कहते है अब देश की जनता उन बातों को समझ नहीं पा रही है। आपदा को अवसर बताकर श्री मोदी ने इस देश के किसानों, मजदूरों और नौजवानों को जो सब्जबाग दिखाने की कोशिश की वह अब बेनकाब हो चुका है। आम लोग यह बखूबी समझ रहें है कि उनकी प्राथमिकता इस देश के कार्पोरेटों की तिजोरी भरना है। भले ही देश के अन्नदाता और मेहनतकश बर्बाद हो जाए।
माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य ने मोदी सरकार पर देश में लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया और कहा कि यह सरकार आत्मनिर्भरता के नाम पर देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद करने में लगी है। किसानों और मजदूरों का अपमान करने और हर ज्वलंत मुद्दों पर झुठ का पुलिंदा खोलने में अपने को कथित विश्व गुरु के रुप में प्रोजेक्ट कर रही है। इनके महागुरु और पहले के कथित विश्व गुरु डोनाल्ड ट्रम्प की हार से भी इन्होंने कोई सबक नहीं लिया है।
पूर्व सांसद ने कहा कि कोरोना महामारी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अवसर बताकर संसद मे बिना समुचित बहस कराए और बिना वोटिंग के देश के मेहनतकशों के अधिकारों पर बंदिश लगाने और उन्हें कार्पोरेट घरानों का गुलाम बनाने का कानून पारित करा लिया। मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ और संप्रभुता के प्रतीक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का बड़े पैमाने पर निजीकरण कर अपने देशी - विदेशी आकाओं के सामने आत्म समर्पण कर दिया है।