लालू यादव पहले ही कह चुके हैं कि अब मंडल दो की लड़ाई शुरू हो चुकी है। भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अगर पटेल समुदाय को आरक्षण का समर्थन करती है तब भी मुश्किल और न करे तो और बड़ी मुश्किल। क्योंकि बिहार के चुनाव में इसका असर भी पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आरक्षण का यह जिन्न भले ही सोची-समझी साजिश के तहत हो लेकिन इसका असर दूरगामी पडऩे वाला है। अभी तक भाजपा बिहार में विकास के नाम पर वोट मांगने की तैयारी कर रही थी लेकिन अचानक आरक्षण के जिन्न ने पार्टी को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है।
आरा की रैली में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दस करोड़, बीस करोड़, पचास करोड़ नहीं पूरे एक लाख पच्चीस हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की घोषणा कर रहे थे तो भाजपा को पैकेज के रूप में एक बड़ा हथियार मिल गया था। पार्टी के एक वरिष्ठï सदस्य के मुताबिक अभी तक मुख्यमंत्री लगातार केंद्र सरकार से विशेष पैकेज की मांग करते रहे हैं लेकिन जब पैकेज मिला तो इसे खारिज कर रहे हैं। भाजपा नेता ने बताया कि पार्टी अब अपने चुनावी सभाओं और परिवर्तन रथों पर इस पैकेज के जरिए नीतीश कुमार पर निशाना साधेगी कि केंद्र चाहता है कि राज्य का विकास हो लेकिन मुख्यमंत्री नहीं चाहते। भाजपा के शीर्ष नेता के मुताबिक अभी तक राज्य में पार्टी का जो प्रचार रहा है उससे नीतीश के कुशासन को उजागर किया गया लेकिन अब मुद्दा बदल गया है।
मुद्दा अब विकास का हो गया है। भाजपा के इस मुद्दे की हवा निकालने के लिए नीतीश कुमार और लालू यादव बिहारी अस्मिता की बात कर रहे हैं। लालू यादव कहते हैं कि प्रधानमंत्री ऐसे बोले रहे हैं जैसे बिहार की बोली लगा रहे हों। लालू ने प्रधानमंत्री की ऐसी नकल की जो कि मीडिया की सुर्खियां बना। वहीं नीतीश कुमार भी बिहारी अस्मिता की बात लगातार उठा रहे हैं। पैकेज के सवाल पर नीतीश कुमार कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने कोई एहसान नहीं किया है बल्कि यह तो राज्यों का अधिकार है। कुमार कहते हैं कि जो पैकेज दिया गया है वह विभिन्न योजनाओं का ही एक हिस्सा है। जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी कहते हैं कि नई और पुरानी योजनाओं को एक साथ जोडक़र बता दिया गया कि बिहार को बड़ा पैकेज दिया गया है। लेकिन यह पैकेज कब मिलेगा इस पर कोई घोषणा प्रधानमंत्री ने क्यों नहीं की। इस पर भाजपा की ओर से भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिलता है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि घोषणा हुई है इसे पूरा होने में समय लगेगा। आशय साफ है कि चुनावी पैकेज है और इस पैकेज को लेकर ही भाजपा चुनाव मैदान में हैं। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा तो यहां तक घोषणा करते हैं कि अगर बिहार में भाजपा की सरकार बनेगी तो पांच सौ करोड़ का विशेष पैकेज दिया जाएगा। पैकेज को तो भाजपा मुद्दा बना रही है लेकिन सहयोगी दलों के रवैये से पार्टी में खलबली भी मची है। लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने सीटों की मांग करके एक नए सियासी समीकरण के संकेत दे दिए हैं। इतना ही नहीं इन दलों ने भाजपा के नारे अबकी बार भाजपा सरकार को बदलने को भी कह दिया है। इससे सियासी घमासान तो मचा ही है लेकिन इस घमासान ने एक संकेत दे दिया कि भाजपा के लिए भी राह आसान नहीं है।
रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार कहते हैं कि अबकी भाजपा सरकार का नारा कहां तक जायज है। जब हम लोग राजग के साथ हैं तो राजग सरकार का नारा होना चाहिए। लोजपा ओर रालोसपा के नेताओं का कहना है कि भाजपा को 243 में से केवल 102 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहिए बाकी सीटें सहयोगियों को मिलनी चाहिए। सहयोगी दलों के इस रवैये के बारे में भाजपा नेता खुलकर कुछ नहीं बोलते लेकिन नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि इससे पार्टी मुश्किल में है। क्योंकि सहयोगी दलों ने जो तर्क सुझाए हैं वह तर्क भाजपा के कई शीर्ष नेताओं की समझ में आ रहा है। लेकिन दिक्कत यह है कि अगर भाजपा 150 सीटों से कम पर चुनाव लड़ी तो सहयोगी मजबूत हो जाएंगे। यानी भाजपा नहीं चाहती कि सहयोगी दलों को ज्यादा से ज्यादा सीटें मिले।
दूसरी ओर नीतीश कुमार अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी साथ लेकर चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। अरविंद केजरीवाल भी खुलकर नीतीश कुमार के समर्थन में आ गए हैं। जिसको लेकर कांग्रेस भी असमंजस में है। क्योंकि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विरोध में खड़ी है और बिहार में कांग्रेस जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। केजरीवाल कहते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का बेहतर विकास हुआ है। केजरीवाल डीएनए का मुद्दा भी उठाते हुए कहते हैं कि बिहार के लोगों का डीएनए खराब कहना बिहार का अपमान है इसलिए जनता चुनाव में सबक सिखाएगी। नीतीश और केजरीवाल एक साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ बिहार में लड़ाई लड़ेंगे। पहले आम आदमी पार्टी ने बिहार में चुनाव लडऩे का मन बनाया था लेकिन अचानक मामला ही उलट गया। इससे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी रोष है।
क्योंकि कई कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव लडऩे का सपना देख रहे थे लेकिन इस फैसले के बाद उनके सपनों पर पानी फिर गया। नीतीश और केजरीवाल के इस नए गठजोड़ पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह चुटकी लेते हुए कहते हैं कि दोनों ठग हैं। सिंह कहते हैं कि अब दोनों मिलकर बिहार को लूटने की तैयारी कर रहे हैं। जो भी हो लेकिन किसी के लिए राह आसान नजर नहीं आ रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अब बिहार की जनता के मूड को अभी समझ पाना जल्दबाजी होगी।