झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका राज्य उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद सोमवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और उसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
सिब्बल ने कहा कि झारखंड में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 13 मई को शुरू होगा और सोरेन को उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लिए प्रचार की अनुमति दी जानी चाहिए।
सिब्बल ने कहा, ‘‘हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। हम चार फरवरी को उच्च न्यायालय गए। उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा लेकिन फैसला नहीं सुनाया। उच्च न्यायालय ने लंबे समय तक फैसला लंबित रखा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में चुनाव का पहला चरण 13 मई को शुरू होगा और इसलिए हमने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस अदालत का रुख किया और पिछले सप्ताह नोटिस जारी किया गया। नोटिस जारी किए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज किए जाने का फैसला सुनाया। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरीके से अधिकारों का दुरुपयोग किया जा रहा है।’’
पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि वह इस अनुरोध पर विचार करेगी और यह भी कहा कि सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका सात मई को सुनवाई के लिए आनी है।
सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उनकी अपील को भी जमानत याचिका के साथ सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
झारखंड उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सोरेन को गिरफ्तार किए जाने को चुनौती देने वाली उनकी रिट याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी थी और उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया।
ईडी ने सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था और इस समय वह न्यायिक हिरासत में रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद हैं। उन्हें ईडी की 13 दिन की हिरासत के बाद 15 फरवरी को जेल भेजा गया था।