कांग्रेस के बागी विधायक राजिंदर राणा ने दावा किया कि हिमाचल प्रदेश में बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा किये गये वादों को पूरा करने के लिए वह हाथ जोड़कर सुजानपुर से शिमला और फिर शिमला से दिल्ली गये लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और 'आरजू थी इंसाफ की, हिस्से बस जिल्लत आयी'।
हिमाचल प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार एवं पूर्व मुख्यमंत्री पीके धूमल को हराकर सुर्खियां बटोरने वाले राणा ने मंगलवार को हिमाचल के लोगों को संबोधित करते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा। इस पोस्ट में उन्होंने दावा किया कि ढेर सारे प्रयासों के बावजूद न तो शिमला और न ही दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ने उनकी बात सुनी।
हिमाचल प्रदेश में हाल में पार्टी व्हिप का पालन नहीं करने पर अयोग्य घोषित किये गये छह कांग्रेस विधायकों ने अपनी अयोग्यता को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
इन विधायकों ने राज्यसभा चुनावों में ‘क्रॉस वोटिंग’ भी की थी। राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान करने वाले कांग्रेस के ये बागी विधायक बाद में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए बजट पर मतदान से अनुपस्थित रहे थे। इन विधायकों में राणा भी शामिल थे।
राणा ने फेसबुक पर अपने पोस्ट में कहा, ''पिछले कुछ दिनों से राज्य में जो सियासी गतिविधियां चल रही है, उससे आप अच्छी तरह वाकिफ हैं और मुझे उसके बारे में मुझे अलग से कुछ बताने की जरूरत नहीं है। सारी हकीकत आपके सामने है।''
उन्होंने कहा, ''जो आपके सामने नहीं हैं और जिसे साजिश के तहत पर्दे के पीछे छिपाया जा रहा है, उसी से आपको रूबरू कराने के लिए मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं क्योंकि मेरी प्रतिबद्धिता, मेरा लगाव, मेरी निष्ठा, मेरा समर्पण, मेरा विश्वास और मेरी जिम्मेदारी आपसे है, सत्ता के शिखर पर बैठे किसी बौने शहंशाह से नहीं हैं।''
राणा ने कहा, ''हिमाचल चुनाव के दौरान हमने एक कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर आपसे जो वादा किया था, वो आपको याद होगा। आपने हमारे वादे पर यकीन किया, हमें अपना कीमती वोट देकर वादे को हकीकत में तब्दील करने का अवसर दिया, देवभूमि की सेवा का मौका दिया लेकिन उन वादों की आज हकीकत क्या है? इसके बारे में मैं अभी लिखने बैठ जाऊं तो फिर वादाखिलाफी की एक पूरी किताब लिखनी पढ़ जाएगी।''
कांग्रेस विधायक ने कहा कि आखिर में मेरे पास बस दो विकल्प बचे थे। पहला मैं मुख्यमंत्री सुक्खू की 'किचन कैबिनेट' में शामिल होकर सत्ता सुख का आनंद उठाता और दूसरा-वही विकल्प जिस पर मैं इस वक्त चल रहा हूं।
राणा ने कहा, ''मैंने राज्य के हित में दूसरा विकल्प चुना।'' उन्होंने कहा कि इसी देवभूमि की पवित्र-पावन भूमि ने मुझे बचपन से सिखाया है कि अगर सच के लिए बगावत करना जरूरी है तो फिर बगावत से कभी मत हिचकना। देवभूमि की वो सीख, देवभूमि के वो संस्कार और देवभूमि की उस सनातन संस्कृति को मैने सिर माथे पर सजाया और बगावत का बिगुल फूंक दिया!
बागी विधायक ने कहा, ''मौजूदा सत्ता की साजिश और षड्यंत्र के खिलाफ मेरी बगावत आखिरी मुकाम पर है और बहुत जल्द आपको इसके परिणाम भी दिख जाएंगे। विश्वास कीजिए वो परिणाम हर तरह से हिमाचल और हिमाचलियत के लिए सुखद और मील का पत्थर साबित होंगे।''