गौरतलब है कि असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी है और अजमल इन दोनों को भाजपा से अलग करने के पक्षधर हैं। वैसे राज्य की राजनीति पर लगातार नजर रखने वाले कुछ वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस और एनडीए में से किसी को बहुमत नहीं मिला तो भाजपा सबसे पहले अजमल की पार्टी को ही तोड़ने की कोशिश करेगी और इसके लिए गुपचुप तरीके से काम शुरू भी कर दिया गया है। एआईयूडीएफ के ऐसे उम्मीदवारों जिनके जीतने की उम्मीद है उनके साथ संपर्क किया जा रहा है।
हालांकि इस सब से बेपरवाह अजमल भाजपा को अगली सरकार बनाने से रोकने के लिए कांग्रेस, अगप, बीपीएफ, अपने दल एवं अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर एक धर्मनिरपेक्ष मोर्चा बनाने के पक्ष में हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली अगप के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत को अगला मुख्यमंत्री बनना चाहिए। अजमल ने पीटीआई भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, इन सभी दलों को तीसरा मोर्चा बनाने के लिए एक साथ आगे आना चाहिए क्योंकि सांप्रदायिक भाजपा को सत्ता से बाहर रखने का और असम एवं इसकी जनता को बचाने का यही एकमात्र रास्ता है।
उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी को 30 से ज्यादा सीटों पर जीत मिलने की संभावना है और अगली सरकार के गठन में उनकी एक अहम भूमिका होगी। अगली सरकार के गठन में किंगमेकर की भूमिका निभाने का दावा करते हुए अजमल ने कहा, हमारे बिना, कोई भी दल राज्य में सरकार नहीं बना सकता। जिस दल का हम समर्थन करेंगे, वह सरकार बना सकता है और एआईयूडीएफ के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं, तो उन्होंने कहा, मैं मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब नहीं देख रहा हूं। इस पद के लिए मेरी आदर्श पसंद दो बार अगप की ओर से मुख्यमंत्री रह चुके प्रफुल्ल कुमार महंत हैं।
उन्होंने कहा, गठबंधन के लिए मुख्यमंत्री पद के आदर्श उम्मीदवार महंत होंगे क्योंकि हम उनके साथ 10 साल तक काम कर चुके हैं। वह सही विकल्प हैं। उनके साथ हमारा अनुभव अच्छा रहा है और उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है।
चुनाव पूर्व अगप-बीपीएफ के भाजपा के साथ गठबंधन का हवाला देते हुए धुबरी के सांसद ने कहा, जहां तक मेरी जानकारी है तो अगप की कांग्रेस के साथ एक अप्रत्यक्ष समझदारी रही है और भाजपा के साथ उसका प्रत्यक्ष गठबंधन है। मुझे लगता है यह वित्तीय कारणों के चलते है। उन्होंने कहा, अगप को इस चुनाव में सबसे ज्यादा लाभ होगा। यदि अगप इन चुनावों को अपने दम पर लड़ती तो वह पांच या छह सीटों से ज्यादा हासिल नहीं कर पाती लेकिन भाजपा के वित्तीय सहयोग से वह 10 से 12 सीटें जीत सकती है।
निवर्तमान विधानसभा में 18 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी एआईयूडीएफ ने इन चुनावों में जदयू और राजद के साथ गठबंधन किया था। हालांकि इन दोनों दलों की इस राज्य में कोई खास मौजूदगी नहीं है। एआईयूडीएफ ने कांग्रेस और अगप को भी इस गठबंधन के लिए आमंत्रित किया था ताकि भाजपा को हराने के लिए बिहार चुनाव की तर्ज पर महागठबंधन बनाया जा सके। हालांकि यह प्रयास सफल नहीं हो सका। असम में दो चरणों में चुनाव संपन्न हो चुका है और सबको अब 19 मई का इंतजार है जब नतीजे घोषित किए जाएंगे।