घर चलाने के लिए हड़िया ( चावल से बनने वाली शराब) बेचने को मजबूर रांची की विमला मुंडा पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ध्यान गया है। सोशल मीडिया पर उसकी खबर वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर रांची के डीसी और खेल सचिव को निर्देश दिया है कि विमला को हर तरह की मदद पहुंचाकर सूचित करें।
मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों से कहा कि राज्य की खेल नीति जल्द आने वाली है उससे खिलाड़ियों का भविष्य संवरेगा। साथ ही एक पोर्टल तैयार किया जा रहा है। तीन-चार दिनों में पब्लिक डोमने में आ जायेगा ताकि लोग अपनी शिकायत पहुंचा सकें।
कांके के पत्थलगोंदा की विमला मुंडा कराटे में ब्लैक बेल्ट है। नेशनल चैंपियनशिप में दो-दो गोल्ड मेडल हासिल कर राज्य को गौरवान्वित किया। पहलीबार 2008 में जिला स्तर पर कैराटे में मेडल हासिल किया, 2009 में ओडिशा में पदक हासिल किया। जीत का सिलसिला जारी रहा। दर्जनों मेडल और प्रशस्तिपत्र मगर लगता है ये उसका मुंह चिढ़ा रहे हों। न नौकरी मिली न कहीं से सहयोग। पिता अशक्त हैं, मां रेजा-कुली का काम कर घर चलाती थी। विमला की मां सोहारी मुंडा खुद कहती है, अब काम नहीं होता। मजबूरी में यह हड़िया बेचती है, घर चलाने के लिए। पढ़ने और खेलने दोनों में बहुत तेज थी। उम्मीद था कि नौकरी हासिल हो जायेगी। खुद विमला को भी लगता था कि बस खेलो स्कॉलरशिप और नौकरी तो मिल ही जायेगी। विमला का कहना है कि कैराटे ही नहीं दूसरे खिलाड़ियों पर भी सरकार का ध्यान नहीं है।
मायूस है मगर उसने हौसला नहीं छोड़ा है, घर की जिम्मेदारी के साथ अभी भी प्रैक्टिस नहीं भूलती। देखना है कि मुख्यमंत्री के निर्देश का अधिकारियों पर क्या असर होता है, वे क्या कर पाते हैं। यह किस्सा सिर्फ विमला का नहीं है, आये दिन झारखंड के खिताबी खिलाड़ियों द्वारा दो वक्त की रोटी के लिए कुली का काम करने, सब्जी बेचने की खबरें आती रहती हैं।