Advertisement

राष्ट्रपति तक पहुंची ‘केजरी-जंग’

मौसम की गर्मी के साथ दिल्ली का सियासी पारा भी चरम पर पहुंच चुका है। इसकी गर्माहट रायसीना हिल पर बसे राष्ट्रपति भवन में तब ज्यादा महसूस की गई जब दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री ने बारी-बारी से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर एक-दूसरे की जमकर शिकायत की।
राष्ट्रपति तक पहुंची ‘केजरी-जंग’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच छिड़ी सियासी जंग राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दरबार तक चलती रही। मुख्यमंत्री और केजरीवाल ने एक-दूसरे की शिकायत करते हुए राष्ट्रपति के समक्ष अपनी राय जाहिर की कि यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

केंद्र की शहर पर प्रशासनिक कामकाज में उपराज्यपाल के बढ़ते हस्तक्षेप और मुख्यमंत्री के अड़ियल रवैये से यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि दिल्ली का तानाशाह कौन है? हालांकि मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने राष्ट्रपति से मुलाकात में यही कहा कि लोकतंत्र के लिए यह ठीक नहीं है।

 

उपराज्यपाल ने केजरीवाल की शिकायत 

पहले उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर केजरीवाल के रवैये पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। दिल्ली में बड़े अधिकारियों की तैनाती और तबादले पर अपना पक्ष रखते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के तानाशाह रवैये से तंग आकर दिल्ली के दो दर्जन नौकरशाह दूसरी जगह तबादला पाने के लिए गृह मंत्रालय का चक्कर काट रहे हैं। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद नजीब जंग ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की। राष्ट्रपति ने दिल्ली के हालात पर चिंता जताई।

 

अनान-फानन में सचिवों की नियुक्तियां

राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले केजरीवाल ने अनिंदो मजूमदार को मजबूरन प्रधान सचिव (सेवा) पद पर बहाल कर दिया जिनका पहले वह नाम तक नहीं सुनना चाहते थे। इससे पहले उन्होंने मजूमदार की जगह तैनात राजेंद्र कुमार को हटाकर उनकी जगह अरविंद राय को प्रशासनिक विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त कर दिया। मजूमदार ही वह अधिकारी हैं जिन्होंने शकुंतला गैमलिन को मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्त किए जाने की अधिसूचना जारी की ‌थी।  

 

दिल्‍ली में अब राष्‍ट्रपति शासन नहीं - सिसौदिया 

हालांकि केजरीवाल ने भी राष्ट्रपति के समक्ष उपराज्यपाल को जमकर कोसा लेकिन कुछ झटपट और अटपटे फैसले से उनकी बेचैनी साफ झलकती है। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सिसोदिया ने मीडिया से कहा, ‘हमने राष्ट्रपति को अवगत करा दिया कि दिल्ली सरकार की अनदेखी कर उपराज्यपाल जिस तरह के फैसले कर रहे हैं, उससे यही लगता है कि यहां राष्ट्रपति शासन लागू है। लोकतंत्र के लिए इस तरह की दखलअंदाजी ठीक नहीं है। हमारी शिकायतों पर राष्ट्रपति ने गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है।’

 

कमजोर पड़ा केजरीवाल का सियासी दांव

केंद्र सरकार और उपराज्यपाल की आंखों की किरकिरी बन चुकी केजरीवाल सरकार को वकीलों का ही समर्थन मिल पाया है। वकीलों का कहना है कि उपराज्यपाल ने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा लांघकर यह फैसला किया है। बताया जा रहा है कि केजरीवाल ने अधिकारियों की नियुक्ति और तबादला विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने का मन बना लिया है। सियासी दांव-पेच से घबराई दिल्ली सरकार इससे पहले नया फरमान जारी कर अधिकारियों से साफ तौर पर कह चुकी है कि मंत्रियों और मुख्यमंत्री से पूछे बगैर उपराज्यपाल के किसी आदेश का पालन ‌न किया जाए। 

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad