पंजाब में आम आदमी पार्टी के विधायक और नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैरा के खालिस्तान के समर्थन में दिए गए बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है। बुधवार को खैरा ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात की। सिसोदिया ने खैरा को उनके बयान पर जमकर फटकार लगाई है। वहीं केजरीवाल ने खैरा से मिलने से इंकार कर दिया।
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने खैरा से पंजाब प्रदेश अध्यक्ष को लिखित में अपना पक्ष रखने को कहा है। साथ ही पूछा है कि अगर उन्होंने ये बयान नहीं दिया तो कैसे ये गलत तरीके से पेश हुआ। उन्होंने साफ कहा कि आप पंजाब में जनमत संग्रह जैसी किसी भी विचारधारा के खिलाफ है।
खैरा के खालिस्तान के समर्थन में बयान देने से अरविंद केजरीवाल नाराज हैं और उन्होंने खैरा से मिलने से इंकार कर दिया। पिछले सप्ताह खैरा ने कथित तौर पर कहा था, 'मैं सिख जनमत संग्रह 2020 आंदोलन का समर्थन करता हूं। इसकी वजह है कि सिखों को अपने ऊपर हुए जुल्म के खिलाफ इंसाफ मांगने का अधिकार है।' हालांकि, खैरा अभी भी इस तरह का बयान देने से इनकार कर रहे हैं।
खैरा के बयान पर भाजपा से लेकर कांग्रेस ने भी निशाना साधा था तथा केजरीवाल से उनके बर्खास्त करने की मांग तक कर दी थी। केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की नेता हरसिमरत कौर बादल ने मांग की थी कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के अपने विधायक सुखपाल सिंह खैरा को बर्खास्त करे। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बादल ने तो मुख्यमंत्री केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर चुप्पी साधकर खैरा को 'मूक समर्थन’ दे रहे हैं।
इस मुद्दे पर बादल ने कहा था कि , ‘एक तरफ केजरीवाल धरना पर बैठकर दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं तो उनके विधायक और पंजाब में नेता प्रतिपक्ष जनमत संग्रह 2020 पर समर्थन की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा था कि पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस को खैरा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और केजरीवाल को उन्हें पार्टी से बाहर करना चाहिए था।