भास्कर का आरोप है कि बसपा में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने दल पर कब्जा कर लिया है और टिकट देने की आड़ में प्रत्याशियों से करोड़ों रूपये लिए जाते हैं।
भास्कर ने कहा कि वह बसपा में घुटन महसूस कर रहे थे इसलिए इस्तीफा दिया। भास्कर ने बसपा अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप लगाते हुए कहा कि बसपा में हर काम पैसे से होता है। कार्यकर्ताओं की कोई इज्जत नहीं होती।
भास्कर इससे पहले भी पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। उसके बाद फिर बसपा में लौट आए थे। लेकिन अब भास्कर का आरोप है कि उन्हें अपमानित किया जा रहा है। भास्कर का दावा है कि बसपा के २८ विधायक जल्द ही अलग होकर अलग दल बना सकते हैं। इसके अलावा बसपा के कुछ बड़े नेता भी पार्टी छोड़ सकते हैं। भास्कर ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। कोई भी कदम उठाने से पहले समर्थकों से सलाह-मशविरा करेंगे।