महाराष्ट्र में राजनीतिक उलट-फेर के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होने के बाद शिवसेना के सांसद अब संसद में भी विपक्ष में बैठेगे। लंबे समय से एनडीए का हिस्सा रही शिवसेना 11 नवंबर को एनडीए से अलग हो गई थी।
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर एनसीपी ने शर्त रखी थी कि अगर शिवसेना साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती है तो उसे एनडीए से सभी तरह के रिश्ते-नातों को तोड़ना होगा। शिवसेना ने इस शर्त को माना और 11 नवंबर को उसके एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
राज्यसभा में बदल गई है व्यवस्था
शिवसेना के एनडीए से दूर होने के बाद राज्यसभा में बैठक की व्यवस्था बदल गई है। अब पार्टी के सांसद विपक्ष की तरफ बैठेंगे। इससे पहले राज्यसभा सासंद संजय राउत ने सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के सवाल पर कहा, 'शिवसेना एनडीए की बैठक में नहीं जाएगी।'
समर्थन से कर दिया था इनकार
महाराष्ट्र में चुनाव पूर्व गठबंधन में चुनाव लड़ी शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए भाजपा का समर्थन करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और 12 नवम्बर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में 56 सीटें जीती थी जबकि भाजपा ने 288 सदस्यीय सदन में सबसे अधिक 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। शिवसेना की मांग थी कि मुख्यमंत्री पद और अन्य विभागों का एक समान आवंटन हो और इसके लिए भाजपा तैयार नहीं थी। अब महाराष्ट्र में शिवसेना एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी है।
सोमवार से शुरु होगा शीतकालीन सत्र
संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर, सोमवार से शुरू होने जा रहा है और इसके 13 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है। सत्र में सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक समेत कई अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कराने की कोशिश करेगी। वहीं, विपक्ष आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, महंगाई, कश्मीर, किसान, एनआरसी और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में है।