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यूपी से नौ सांसदों को मिली केंद्रीय मंत्री मंडल में जगह

केंद्र की नयी एनडीए सरकार में उत्तर प्रदेश ने अपनी बादशाहत बरकरार रखी है। पिछली बार की तरह इस बार भी नौ...
यूपी से नौ सांसदों को मिली केंद्रीय मंत्री मंडल में जगह

केंद्र की नयी एनडीए सरकार में उत्तर प्रदेश ने अपनी बादशाहत बरकरार रखी है। पिछली बार की तरह इस बार भी नौ सांसदों को केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल किया है। हालांकि पिछली बार कैबिनेट विस्तार में यूपी से कुल 15 मंत्री हो गए थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को यूपी में शानदार जीत का तोहफा दिया गया है और उनके कैबिनेट मंत्री बनाए जाने से यूपी में नए अध्यक्ष की तलाश भी शुरू हो गई है।

यूपी में क्षेत्रीय आधार पर अगर देखा जाए तो पूर्वांचल के वाराणसी मंडल से पीएम नरेंद्र मोदी और चंदौली से सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को छोड़कर किसी को मंत्री मंडल में जगह नहीं मिल पाई है। जिस कारण खासतौर पर गोरखपुर मंडल और बुंदेलखंड को निराशा हाथ लगी है। जबकि पिछली बार देवरिया से सांसद कलराज मिश्रा और राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला को कैबिनेट विस्तार में मंत्री मंडल में शामिल किया गया था।

इन्हें नहीं मिला जगह

नए मंत्री मंडल में पूर्व केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा, मेनका गांधी, सतपाल सिंह, शिव प्रताप शुक्ला, अनुप्रिया पटेल को जगह नहीं मिल पाई है। इसके अलावा कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी से कुछ पुराने और नए सांसदों को मंत्री मंडल में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसे सभी सांसदों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

यूपी से एक भी दलित नहीं बन पाया मंत्री

मोदी सरकार ने इस बार यूपी से मंत्री बनाने में अगड़ों के साथ पिछड़ी जाति पर सबसे ज्यादा फोकस किया है। यूपी से इस बार एक भी दलित चेहरे को मंत्री नहीं बनाया गया है। पिछड़े नेताओं में भाजपा ने सबसे ज्यादा मंत्री बनाए हैं। इनमें प्रधानमंत्री के अलावा संतोष गंगवार, साध्वी निरंजन ज्योति और संजीव कुमार बालियान शामिल हैं।

यूपी कैबिनेट विस्तार में एडजस्ट होंगे कुछ पदाधिकारी

यूपी सरकार के तीन मंत्रियों रीता बहुगुणा जोशी, एसपी सिंह बघेल और सत्यदेव पचौरी के सांसद बनने और एक मंत्री ओम प्रकाश राजभर को बर्खास्त करने के कारण यहां भी कैबिनेट विस्तार जल्द होने की संभावना है। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ पदाधिकारियों को यहां एडजस्ट किया जाएगा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी पर टिकीं नजरें

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद नए चेहरे की तलाश भी शुरू हो गई है। पार्टी लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण चेहरे के रूप में दांव लगाने के बाद किसी पिछड़ा या दलित चेहरे पर दांव लगा सकती है। ऐसा 2022 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है। भाजपा ने वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव पिछड़े चेहरे केशव प्रसाद मौर्य के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए लड़ा था। 2017 में सरकार बनने के बाद जब मौर्य को डिप्टी सीएम बना दिया गया तो लोकसभा चुनाव करीब आते देखकर पार्टी ने ‘ब्राह्मण’ चेहरे के रूप में डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय पर दांव लगाया था।

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