पटना में आयोजित कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण समागम कार्यक्रम में भाग लेने के बाद नीतीश ने संवाददाताओं से कहा कि आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी चिंता को गंभीरता के साथ लिया जाना चाहिए। जहां तक आपातकाल जैसी स्थिति का प्रश्न है, तो हम यहां हर दिन एेसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।
गौरतलब है कि आडवाणी ने एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित साक्षात्कार में कहा था लोकतंत्र को कुचल सकने वाली ताकतें बलवती हैं। मुझे एेसा विश्वास ही नहीं है कि यह (आपातकाल) फिर से नहीं लग सकता। नीतीश ने हालांकि विस्तार से यह नहीं बताया कि बिहार किस प्रकार से आपातकाल जैसी स्थिति का सामना कर रहा है पर उन्होंने इसके माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र की सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के समय कैसे-कैसे वादे किए गए थे और उनके (भाजपा) सत्ता में आने के बाद क्या हुआ। वे यह जताते हैं कि उन्होंने एक साल पूरा कर लिया और कोई घोटाला नहीं हुआ पर देखिये, कितने घोटाले सामने आने लगे हैं।
पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी की कथित मदद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर लग रहे आरोपों की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने इसे मानवीयता के बजाय तरफदारी का मामला बताया और इस संबंध में प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की स्वीकृति प्राप्त होने का संकेत देने के लिए नीतीश ने संस्कृत की कहावत मौनम स्वीकृति लक्षणम को दोहराया। नीतीश ने कहा उनकी (प्रधानमंत्री की) ललित मोदी-सुषमा स्वराज मुद्दे पर चुप्पी उनकी स्वीकारोक्ति को दर्शाती है। यह सीधे सीधे तरफदारी का मामला है पर केंद्र इससे अपना पल्ला यह कहकर झाड़ रहा है कि एेसा मानवीय आधार पर किया गया। वे सुशासन की बातें बहुत करते हैं लेकिन चीजें अब बाहर आने लगी हैं।