जदयू के राष्टीय महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि वे इस मामले को संसद में उठाएंगे और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से इस सुझाव के बारे में पूछेंगे। उन्होंने कहा कि नीतीश जी के जनकपुर जाने के कार्यक्रम के बारे में नेपाल और भारत सरकार को उनकी यात्रा के पूर्व ही सूचित कर दिया गया था। नेपाल सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी। ऐसे में भारत सरकार को क्या समस्या है। नेपाल में आये भूकंप के बाद राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत एवं बचाव का बिहार केंद्र बना हुआ है।
त्यागी ने कहा कि कई केंद्रीय मंत्रियों ने इस सिलसिले में बिहार का दौरा किया है और राज्य सरकार ने भूकंप पीडितों के दुख को कम करने में उनके साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने नीतीश को वहां नहीं जाने की सलाह के राजनीति से पे्ररित होने की आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि नीतीश जी ने केंद्र सरकार की भूकंप पीडितों के लिए की गयी पहल की प्रशंसा की है और वे नेपाल में रह रहे बिहार मूल के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए जनकपुर जाना चाहते थे।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह ने केंद्र पर प्रहार करते हुए कहा कि यह केंद्र में सत्तासीन भाजपा की तुच्छ राजनीति को प्रदर्शित करता है। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री के वहां जाने से लोकप्रियता हासिल कर लेने का भाजपा को भय है इसलिए उन्हें नेपाल नहीं जाने को कहा गया है।
गौरतलब है कि विदेश मंत्रालय ने नीतीश कुमार को सुझाव दिया कि नेपाल की अपनी यात्रा को टाल दें और अधिक उपयुक्त समय पर यह यात्रा करें। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री को नेपाल में जनकपुर जाने के लिए पहले अनुमति दी गयी थी। उन्होंने इस संबंध में इच्छा व्यक्त की थी। हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर और प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव पी के मिश्रा की हालिया यात्रा के बाद यह महसूस किया गया कि मुख्यमंत्री के लिए नेपाल की यात्रा पर जाने का यह उचित समय नहीं है