नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार की नाराजगी के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने बहुचर्चित भीमा कोरेगांव मामले पर यू-टर्न ले लिया है। उद्धव ठाकरे ने कहा है,"एलगार परिषद का मामला और भीमा कोरेगांव का मामला अलग-अलग है। भीमा-कोरेगांव का मामला दलित भाइयों से जुड़ा हुआ है। इसकी जांच केंद्र को नहीं दी जा सकती। इसे केंद्र को नहीं सौंपा जाएगा, जबकि एलगार परिषद के मामले को एनआइए देख रही है।
अगस्त 2018 में देश भर में छापेमारी के बाद वरवरा राव, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा सहित पांच कार्यकर्ताओं को पुलिस ने उठाया था। पुलिस ने उन पर 31 दिसंबर, 2017 को एल्गर परिषद की बैठक के लिए धन देने का आरोप लगाया, जिसमें कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए गए थे ,जिससे हिंसा भड़क गई थी। सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आईपीसी और आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हिंसक झड़कों में हुई थी एक की मौत
ठाकरे ने कहा, "एल्गर परिषद और कोरेगांव-भीमा दो अलग-अलग विषय हैं। मेरे दलित भाइयों का मुद्दा कोरेगांव-भीमा है और मैं इसे केंद्र को नहीं दूंगा। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि दलित भाइयों के साथ कोई अन्याय नहीं होगा।" बता दें कि एक जनवरी, 2018 को एक समारोह के दौरान दलित और मराठा समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे।
एनसीपी ने जताई थी नाराजगी
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एल्गर परिषद मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को सौंप दी थी। इस फैसले पर शिवसेना की सहयोगी एनसीपी की अगुवाई करने वाले शरद पवार ने सार्वजनिक रूप से नाखुशी जताई थी। पवार ने मंगलवार को कहा कि देवेंद्र फड़नवीस और पुणे पुलिस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने एल्गर परिषद मामले में अपनी शक्ति का "दुरुपयोग" किया और इस मुद्दे की जांच एसआईटी को करनी चाहिए।
एसआईटी गठित करने की मांग
पवार ने कहा कि केंद्र ने राज्य से मामले को एनआईए के पास स्थानांतरित कर दिया, जिसमें डर इस बात का है कि सच्चाई सामने आ पाएगी। उन्होंने कहा कि एल्गर परिषद मामले में सक्रिय लोगों को आक्रामक कहा जा सकता है, लेकिन देश विरोधी नहीं। पिछले माह उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र ने भंडाफोड़ होने के डर से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच एनआईए को सौंपी है। उन्होंने कहा था कि अन्याय के खिलाफ बोलना नक्सलवाद नहीं है। इसी डर से सरकार ने मामले की जांच एनआइए से कराने का फैसला लिया। पवार ने एल्गार परिषद मामले में कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस की कार्रवाई की जांच कराने के लिए रिटायर्ड जज के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की थी।