जम्मू कश्मीर की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार से भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। उधर, पीडीपी से नाता तोड़ने का ऐलान करते हुए भाजपा के महासचिव राम माधव ने राज्य में राष्ट्रपति शासन को फिलहाल सबसे बेहतर विकल्प बताया है। नेशनल कांफ्रेंस ने फिलहाल किसी को समर्थन देने से इंकार किया है जबकि महबूबा मुफ्ती का कहना है कि वे किसी नए गठबंधन की संभावनाएं नहीं तलाश रही हैं। ऐसी स्थिति पर राष्ट्रपति शासन लगना लगभग तय माना जा रहा है।
इसी बीच, नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल एनएन वोरा से मुलाकात की। इस मुलाकात ने कुछ समय के लिए किसी नए गठबंधन की अटकलों को हवा दी थी, जिस पर उमर अब्दुल्ला ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल एनएन वोहरा से श्रीनगर में मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से कहा कि राज्य में सरकार बनाने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस किसी के साथ नहीं जाएगी।
गौरतलब है कि 2014 में नेशनल कांफ्रेंस ने पीडीपी को समर्थन की पेशकश की थी। इस बारे में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह वन टाइम ऑफर था जो पीडीपी के भाजपा से हाथ मिलाने के साथ ही खत्म हो गया। भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। उन्हें साल के आखिर में ऐसा होने की उम्मीद थी, यह कुछ पहले ही हो गया है।
राज्यपाल से मुलाकात के बारे में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग की है। अब लोगों को अपनी पसंद की सरकार चुनने का मौका दिया जाना चाहिए। पिछले चुनाव में हमें जनादेश नहीं मिला था, अब भी हमारे पास बहुमत नहीं है। हम किसी के साथ गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं। हमने राज्यपाल से कहा है कि हमारी पार्टी राज्यपाल को पूरा समर्थन देगी लेकिन राज्य में ज्यादा समय तक राज्यपाल शासन नहीं रहना चाहिए।
इससे पहले कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद में कहा कि जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से गठबंधन का कोई सवाल ही नहीं है। भाजपा के समर्थन वापस लेने और महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होना लगभग तय माना जा रहा है।
उधर, राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद महबूबा मुफ्ती ने भी किसी नए गठबंधन की संभावना से पूरी तरह इंकार किया है।
विधानसभा का गणित
87 विधायकों वाली जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 44 विधायको की जरूरत है। सबसे ज्यादा 28 विधायक महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के पास हैं। जबकि मोदी लहर में भाजपा ने 25 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी। नेशनल कांफ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। इनके अलावा जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स कांफ्रेंस के दो, तीन निर्दलीय और पीपल्स डेमोक्रेटिक फंट व सीपीएम का एक-एक विधायक है। यानी अगर कांग्रेस या नेशनल कांफ्रेंस में से कोई एक पार्टी और बाकी सभी छोटी पार्टियां और निर्दलीय पीडीपी को समर्थन दें तो सरकार बन सकती है। हालांकि, राज्य के मौजूदा सियासी हालत में पीडीपी को बाकी दलों का समर्थन मिलने की गुंजाइश बेहद कम नजर आ रही है।