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केरल विधानसभा में एससी/एसटी बजट में कटौती को लेकर विपक्ष का हंगामा,अध्यक्ष पर बाधा डालने का आरोप

कांग्रेस नीत विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने बृहस्पतिवार को केरल विधानसभा की...
केरल विधानसभा में एससी/एसटी बजट में कटौती को लेकर विपक्ष का हंगामा,अध्यक्ष पर बाधा डालने का आरोप

कांग्रेस नीत विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने बृहस्पतिवार को केरल विधानसभा की कार्यवाही में गतिरोध उत्पन्न किया और आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीसन के भाषण को ‘बाधित’ किया और एलडीएफ सरकार ने राज्य के बजट में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) समुदायों के लिए आवंटन में ‘कटौती’ कर दी।

हंगामे के बाद अध्यक्ष ए एन शमसीर ने विभिन्न विधेयकों को पारित करके कामकाज जल्दी पूरा करने के बाद विधानसभा को स्थगित कर दिया।

राज्य में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार के बजट में एससी/एसटी समुदायों के लिए धन के आवंटन में कथित कमी पर विपक्ष द्वारा पेश किए गए स्थगन प्रस्ताव के दौरान सतीसन ने अध्यक्ष पर विधानसभा में उनके भाषण को ‘बाधित’ करने का आरोप लगाया।

हालांकि, अध्यक्ष ए एन शमसीर ने आरोप से इनकार करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष को पहले नौ मिनट तक निर्बाध बोलने की अनुमति दी गई थी। इसके कारण अध्यक्ष और सतीसन के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

जब अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आवंटित समय समाप्त हो गया है, तो सतीसन ने जवाब दिया कि सदन में बोलना उनका अधिकार है, यह अध्यक्ष की कोई उदारता नहीं है।

हस्तक्षेप के खिलाफ विरोध जताते हुए विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और जिनके हाथों में तख्तियां थी और जिनपर लिखा था, ‘‘विपक्ष के अधिकार अध्यक्ष की मेहरबानी नहीं हैं।’’

हंगामे के बाद विधानसभा में सभी माइक्रोफोन को बंद कर दिया गया। इससे पहले स्थगन की मांग करने वाले एक प्रस्ताव में कांग्रेस विधायक ए पी अनिल कुमार ने आरोप लगाया कि राज्य के बजट में एससी/एसटी समुदायों के लिए धन और परियोजना आवंटन कम कर दिया गया है।

उन्होंने वामपंथी सरकार पर पिछड़े वर्गों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और उसे दलित विरोधी और आदिवासी विरोधी बताया। उन्होंने केआईआईएफबी के माध्यम से वित्तपोषित परियोजनाओं में भी एससी/एसटी समुदायों को दरकिनार करने के लिए सरकार की आलोचना की।

हालांकि, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओ आर केलू ने जवाब दिया कि यह दावा करना गलत है कि कोई पहल नहीं की जा रही है।

वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने भी प्रस्ताव को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि दलित समुदायों को समर्थन देने के प्रयास किए जा रहे हैं और सरकार पिछड़ा वर्गों के कल्याण को प्राथमिकता देती है।

बाद में नेता प्रतिपक्ष ने बजट में कटौती की आलोचना की और तर्क दिया कि इससे एससी/एसटी समुदायों पर गंभीर असर पड़ा है।

सतीसन ने कहा, ‘‘इन समुदायों के लिए आवंटन हर साल बढ़ना चाहिए, लेकिन इसके बजाय यह अपरिवर्तित रहता है। 22 जनवरी को जारी एक आदेश ने परियोजना आवंटन में कटौती की पुष्टि की और उसके बाद 25 जनवरी को एक और आदेश जारी किया गया, जिसमें इसे और कम कर दिया गया।’’

सतीसन ने यह भी बताया कि लाइफ मिशन परियोजना के तहत एससी/एसटी वर्ग के लिए आवंटित 140 करोड़ रुपये में से एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि छात्रावास शुल्क का भुगतान करने में असमर्थता के कारण छात्रों को अपमानित किया जा रहा है।

विधानसभा की बैठक तीन मार्च से फिर शुरू होगी।

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