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बिहार कांग्रेस प्रभारी और पप्पू यादव के बीच बैठक से राजद नाराज

जनाधिकार पार्टी के मुखिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से नजदीकी बिहार में कांग्रेस को भरी पड़...
बिहार कांग्रेस प्रभारी और पप्पू यादव के बीच बैठक से राजद नाराज

जनाधिकार पार्टी के मुखिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से नजदीकी बिहार में कांग्रेस को भरी पड़ सकती है। पप्पू यादव और कांग्रेस के बिहार प्रदेश प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के बीच हुई बैठक पर राजद और हम ने नाराजगी जताई है। प्रदेश कांग्रेस के नेता भी दबी जुबान इस बैठक की आलोचना कर रहे।

राजद के प्रवक्ता विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा है कि महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और हम तीनों शामिल हैं। इसमें किसी नए दल को शामिल करने का फैसला अकेले कांग्रेस नहीं कर सकती। हम के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी राजद के स्टैंड का समर्थन किया है। उन्होंने राजद प्रवक्ता दानिश रिजवान के बयान से सहमति जताई है। रिजवान ने कहा है कि तेजस्वी यादव का विरोध करने पप्पू यादव जैसे लोगों के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है। पूर्व में कई मौकों पर तेजस्वी भी स्पष्ट कर चुके हैं कि महागठबंधन में पप्पू यादव नहीं होंगे।  

गोहिल और पप्पू यादव के बीच पटना स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में रविवार करीब एक घंटे तक बातचीत हुई थी। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस का कोई नेता मौजूद नहीं था। इस बैठक को लेकर प्रदेश कांग्रेस के नेता भी सवाल उठा रहे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की गैरमौजूदगी में यादव के साथ गोहिल की बैठक समझ से परे है। उन्होंने कहा, “राजद के साथ संबंधों को प्रभावित करने वाले किसी भी कदम से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा। इससे मुस्लिम वोट राजद और कांग्रेस के बीच बंटेगा, जिसका फायदा भाजपा नीत एनडीए को मिलेगा।” उन्होंने कहा कि पप्पू यादव की छवि काफी विवादित और दबंग की है। लिहाजा उनके साथ साझेदारी से नुकसान ही होगा।

पप्पू यादव ने पिछला लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर मधेपुरा से जीता था। लेकिन, 2015 का विधानसभा चुनाव उन्होंने अकेले लड़ा था। उनकी पार्टी रंजीता रंजन सुपौल से कांग्रेस की सांसद हैं। सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार में पप्पू यादव की अच्छी-खासी पैठ है। माना जा रहा है कि कांग्रेस उनकी मदद से इन इलाकों में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश में हैं। हालांकि राजद के रुख को देखते हुए यह आसान नहीं लगता। बीते दिनों आउटलुक से बातचीत में पप्पू यादव ने कहा था, “ मेरे पास विकल्प नहीं है, क्योंकि एक राजनीतिक वारिस (तेजस्वी यादव) मुझे एनडीए का एजेंट बता रहा।” इस बयान के बाद से उनके एनडीए के साथ जाने के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन, गोहिल के साथ अचानक बैठक ने नई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे दिया है। हालांकि इस बैठक पर कांग्रेस और पप्पू यादव की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। 

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