महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर अनिश्चितता अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जहां एक तरफ, राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। वहीं, कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना की अपने-अपने नेताओं के साथ बैठकों का दौर सिलसिला जारी है। महाराष्ट्र में छिड़े सियासी घमासान के बीच शिवसेना ने गुरुवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की ‘‘पटकथा पहले ही लिख’’ दी गई थी और उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अब पार्टियों को सरकार बनाने के लिए छह महीने का समय दे दिया है।
पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर ‘मगरमच्छ के आंसू’ बहा रहे हैं क्योंकि सत्ता अब भी परोक्ष रूप से भाजपा के हाथ में ही है।
शिवसेना को सरकार बनाने का दावा जताने के लिए महज 24 घंटे का वक्त दिए जाने तथा अतिरिक्त समय दिए जाने से इनकार करने पर राज्यपाल की आलोचना करते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय में कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि कोई अदृश्य शक्ति इस खेल को नियंत्रित कर रही है और उसके अनुसार फैसले लिए गए।’
राजनीतिक गतिरोध के बीच राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन
महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार शाम को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केन्द्र को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा हालात में राज्य में स्थिर सरकार के गठन के उनके तमाम प्रयासों के बावजूद यह असंभव प्रतीत हो रहा है।
शिवसेना ने आरोप लगाया कि जब वह सरकार गठन के लिए दावा जताने के लिए और समय मांगने राज भवन गई तो प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। सामना में कहा गया है कि राज्यपाल ने 13वीं विधानसभा खत्म होने का इंतजार किया। अगर उन्होंने पहले सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू की होती तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने का उनका कदम ‘‘नैतिक रूप से सही’’ प्रतीत होता।
‘राष्ट्रपति शासन लगाने की पटकथा पहले ही तैयार थी’
शिवसेना ने तंज किया, ‘राज्यपाल इतने दयालु हैं कि उन्होंने अब हमें छह महीने का वक्त दिया है।’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने की पटकथा पहले ही तैयार थी। यह पहले ही तय था।’
उसने कहा कि राज्यपाल पहले आरएसएस कार्यकर्ता थे और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन महाराष्ट्र भूगोल और इतिहास की दृष्टि से बड़ा राज्य है।
‘राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को फड़नवीस ने ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ घटना बताया’
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, ‘‘जब राज्यपाल ने सरकार गठन का दावा जताने के लिए 48 घंटे का समय देने से इनकार कर दिया तब लोगों को लगा कि जिस तरह से वह काम कर रहे हैं उसमें कुछ तो गलत है।’ शिवसेना ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद फड़नवीस ने इसे ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ घटना बताया है। संपादकीय में कहा गया है कि अगर फड़नवीस ने राष्ट्रपति शासन के फैसले की निंदा की होती तो यह कहा जा सकता था कि उनके इरादे नेक हैं।
‘फड़नवीस मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं’
‘सामना’ में कहा गया है, ‘पूर्व मुख्यमंत्री ने चिंता जताई कि क्या राष्ट्रपति शासन से महाराष्ट्र में निवेश पर असर पड़ेगा। फड़नवीस मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। अगर कोई राज्य में राष्ट्रपति शासन पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है तो यह तमाशा है।’ इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी सत्ता परोक्ष रूप से भाजपा के हाथों में है।
वहीं, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत लगातार ट्विटर के माध्यम से अपने विरोधियों पर तंज कस रहे हैं। संजय राउत ने आज ट्वीट करके लिखा कि जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है। इससे पहले शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने बुधवार को ट्वीट करके ‘अग्निपथ,अग्निपथ, अग्निपथ’ लिखा था। राउत ने बताया कि सरकार गठन के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस से बातचीत कर रही है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।
‘अब हारना और डरना मना है’
संजय राउत ने लिखा है, ‘अब हारना और डरना मना है. हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।’
राज्य में नेताओं के बीच बैठकों का दौर जारी
बता दें कि सरकार गठन के लिए संभावित गठबंधन के लिए कल एनसीपी और कांग्रेस ने एक ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ के तौर तरीकों पर चर्चा करने के लिए बैठक की। आज एक बार फिर दोनों दलों की बैठक होगी। इसके बाद शिवसेना के साथ कांग्रेस की बैठक होगी। एनसीपी से अजित पवार, छगन भुजबल, जयंत पाटिल,नवाब मलिक और धनंजय मुंडे और कांग्रेस से अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोराट, माणिकराव ठाकरे बैठक में शामिल हैं।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के नेताओं ने राज्य को शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पार्टी के वरिष्ठ नेता माणिकराव ठाकरे ने एक होटल में ठाकरे से बातचीत की.
साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रही हैं तीनों पार्टियां
बता दें कि सरकार गठन की कोशिशों के तौर पर हिंदुत्व विचारधारा का समर्थन करने वाली शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में उसने इन पार्टियों के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
शिवसेना ने छोड़ा एनडीए का साथ
सत्ता में साझेदारी को लेकर बीजेपी-शिवसेना में मनमुटाव होने के बाद गठबंधन सहयोगी अलग हो गए और शिवसेना ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का साथ छोड़ दिया। विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीजेपी ने बहुमत नहीं होने का हवाला देते हुए सरकार बनाने का दावा पेश करने से इनकार कर दिया। उसके बाद राज्यपाल ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को दावा पेश करने का न्योता दिया।
राज्यपाल के सामने समर्थन-पत्र पेश करने में नाकाम रही शिवसेना
शिवसेना ने हालांकि राज्यपाल से मिलकर दावा किया कि उसे कांग्रेस और एनसीपी का सैद्धांतिक समर्थन मिल चुका है, लेकिन वह दोनों दलों का समर्थन पत्र पेश करने में नाकाम रही। शिवसेना ने राज्यपाल से ऐसा करने के लिए तीन दिन का वक्त मांगा लेकिन उन्होंने शिवसेना की ये मांग खारिज कर दी। इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) को सरकार बनाने का दावा पेश करने का न्योता दिया। उन्होंने एनसीपी को मंगलवार रात साढ़े आठ बजे तक का समय दिया था। राज्यपाल ने केन्द्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मंगलवार सुबह एनसीपी ने उन्हें संदेश भेजा कि पार्टी को उचित समर्थन जुटाने के लिए और तीन दिन का वक्त चाहिए।
अमित शाह ने शिवसेना के आरोपों को खारिज किया
इन सबके बीच, शिवसेना द्वारा लगाए गए आरोपों पर पहली बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का बयान आया। अमित शाह ने शिवसेना द्वारा लगाए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि, 'चुनाव के पहले पीएम और मैंने सार्वजनिक तौर पर कहा कि अगर हमारा गठबंधन जीता तो देवेंद्र फडणवीस सीएम होंगे। तब किसी को आपत्ति नहीं हुई। अब वह एक नई मांग को लेकर आ गए हैं, जो हमें स्वीकार नहीं है।' राष्ट्रपति शासन को लेकर उन्होंने कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए 18 दिन जितना समय नहीं दिया था। राज्यपाल ने विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही पार्टियों को आमंत्रित किया।