केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान ने आज कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दलितों के मुद्दे पर भाजपा की आलोचना करने नैतिक हक नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल की पार्टी ने इस समुदाय या इसके आइकन डॉ. बीआर आंबेडकर के लिए कुछ नहीं किया। सत्ताधारी दल का बचाव करते हुए पासवान ने कह कि सरकार ने अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दो सप्ताह के भीतर ही पुनरीक्षण याचिका दायर कर दी।
लोजपा प्रमुख ने नई दिल्ली में आरोप लगाया कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल दलितों को लेकर राजनीति कर रहे हैं। पासवान ने दलित संगठनों की ओर से आयोजित ‘भारत बंद’ पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कांग्रेस केंद्र में लंबे समय तक सत्ता में रही है लेकिन उसने संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया लेकिन अब वह दलितों को लेकर राजनीति कर रही है।
One can understand if people protest, but why is opposition playing politics? Parties like Congress who did not give Bharat Ratna to BR Ambedkar are now acting like his followers: Ramvilas Paswan,Union Minister #BharatBandh pic.twitter.com/mhFwTXnM2R
— ANI (@ANI) April 2, 2018
उन्होंने कहा कि देश में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण की व्यवस्था खत्म नहीं की जा सकती। लोजपा नेता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस तो बाबा साहेब की तस्वीर संसद के केंद्रीय कक्ष में भी नहीं लगाना चाहती थी। जब वीपी सिंह सरकार आई तो उनकी तस्वीर लगायी गयी।
पासवान ने अपने भविष्य के लिए लगाई जा रही अटकलों के सवाल में कहा कि वह भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के साथ और इसकी मजबूती के लिए काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह गठबंधन अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद भी सत्ता में वापसी करेगा। गौरतलब है कि वरिष्ठ राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने हाल में कहा था पासवान विपक्ष के संपर्क में हैं और वह राजग छोड़ देंगे। पासवान ने सिंह को जवाब देते हुए कहा कि उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता। उन्होंने राजद नेता से पूछा कि क्या वह खुद अपना भविष्य जानते हैं? क्या वे तेजस्वी यादव को अपना नेता मानते हैं?।
लोजपा प्रमुख ने डॉ. बीआर आंबेडकर के नाम के बीच में रामजी लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का भी बचाव किया। उन्होंने कहा कि रामजी उनका मध्य नाम था, जो उनके पिता के नाम से लिया गया है। ऐसे में सरकार के फैसले में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। पासवान ने कहा कि कई दलित नेताओं के नाम में राम लगा है जैसे जगजीवन राम, राम नाथ कोविंद और खुद मेरे।