वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने शुक्रवार को विपक्ष से अपील की कि वह मोदी सरकार को अगले लोकसभा चुनाव में शिकस्त देने के लिए एकजुट हों। नई दिल्ली में लोकतांत्रिक जनता दल के स्थापना के मौके पर आयोजित सम्मेलन में उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के दौर में संवैधानिक मूल्यों पर जिस तरह का खतरा उत्पन्न हुआ है वैसा देश में पहले कभी नहीं हुआ था।
यादव ने आगाह किया कि विपक्षी दल अगर अभी एक नहीं हुए तो उन्हें फिर मौका नहीं मिलेगा क्योंकि अगर भाजपा फिर सत्ता में आ गई तो वह लोगों के संवैधानिक अधिकारों को खत्म कर देगी। स्थापना दिवस के मौके पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यादव ने केंद्र की राजग और बिहार की नीतीश सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने भाजपा की गोद में बैठकर अपने राज्य के लोगों का अपमान किया है। यादव ने कहा कि प्रमुख वादों को निभाने में विफल रही मोदी सरकार लोगों को हिंदू-मुस्लिम के नाम पर बांट रही है।
शरद यादव ने भाजपा की तुलना उस राक्षस से की जिसके प्राण एक चिड़िया में बसते थे। उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी का अस्तित्व सांप्रदायिक मुद्दों पर टिका है और हिंदू-मुस्लिम मुद्दा ही इस पार्टी की जीत का एकमात्र कारण है।
विश्वास मत के दौरान गिर जाएगी येदियुरप्पा सरकार
कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पदकी शपथ दिलाने पर राज्यपाल की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि वजुभाई वाला भगवा पार्टी के इशारे पर काम कर रहे हैं। समाजवादी नेता ने दावा किया कि येदियुरप्पा सरकार शनिवार को विश्वास मत के दौरान गिर जाएगी।
शरद यादव ने आरोप लगाया कि वर्तमान भाजपा पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। मंत्री भय में जी रहे हैं तथा कुछ भी कहने से डरते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक अभूतपूर्व संकट और अघोषित इमरजेंसी है जो ज्यादा खतरनाक है।
उऩ्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के समय की भाजपा अलग थी और आज की भाजपा अलग है। वाजपेयी ने एक वोट से हार जाने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि आज भाजपा कर्नाटक में लोगों द्वारा दिए गए जनादेश को कुचल रही है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू के साथ चुनाव चिह्न के विवाद के कोर्ट में रहने के कारण शरद यादव इस पार्टी के सदस्य नहीं हैं पर समझा जाता है कि वह इसके गठन के पीछे मुख्य भूमिका में हैं। सम्मेलन में राज्यसभा सदसस्य वीरेंद्र कुमार ने सामाजिक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की भावना हासिल करना है।