सोमवार देर शाम हुई आप की अनुशासन समिति की बैठक में चारों बागी नेताओं को निष्कासित करने का ऐलान किया गया। करीब छह घंटे चली इस बैठक में बागी नेताओं को भेजे नोटिस के जवाब पर चर्चा हुई। जिसके बाद चारों नेताओं को अनुशासन हीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों का दोषी मानते हुए पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया गया। अजीत झा को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उनका जवाब सोमवार को नहीं आया था। लेकिन उन्हें भी निकाले जाने का फैसला सुना दिया गया।
पार्टी के इस कदम के बाद प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की आप के अंदर ही स्वराज अभियान नाम से बागी गुट बनाने की रणनीति पर पानी फिर गया है। गत 14 अप्रैल को बागी नेताओं ने स्वराज संवाद का आयोजन कर अलग पार्टी बनाने के बजाय आप में एक अलग गुट के तौर पर काम करने का फैसला किया था। लेकिन जिस तरह अरविंद केजरीवाल खेमे ने बागियों का पत्ता साफ करना शुरू कर दिया है, उससे बागियों को रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
गत 17 अप्रैल को पार्टी की अनुशासन समिति ने चारों बागी नेताओं को कारण बताओ नोटिस भेजा था, जिसमें उनसे पूछा गया था कि बगैर पार्टी की अनुमति के बैठक का आयोजन किस आधार पर किया गया और उस बैठक में नई पार्टी बनाने के लिए कार्यकर्ताओं से क्यों राय मांगी गई।
अब क्या होगी बागी खेमे की रणनीति
पार्टी से निकाले जाने के बाद प्रशांत भूषण ने कहा कि हमारे पास कोर्ट में जाने का रास्ता है, लेकिन हमें अपनी ऊर्जा दूसरे काम में लगानी चाहिए। भूषण ने स्पष्ट किया है कि स्वराज अभियान खत्म नहीं होगा। हम अपनी ऊर्जा इस काम में लगाएंगे। इन बातों के जरिये प्रशांत भूषण ने आप से हुए उनके निष्कासन के विरोध में कानून कार्रवाई के बजाय स्वराज अभियान को मजबूत करने का संकेत दिया है। इस बीच, उन्होंने अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों पर हमले तेज कर दिए हैं।
घर से घसीटकर निकाला जाए तो कैसा लगेगा- योगेंद्र
पार्टी से निष्कासन पर योगेंद्र यादव काफी निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आपको कैसा लगेगा कि जब आपको आपके घर से घसीटकर बाहर निकाल दिया जाए। उन्होंने कहा कि उन पर अरविंद केजरीवाल को संयोजक पद से हटाने की साजिश रचने और पार्टी को हराने के लिए काम करने जैसे आरोप लगे थे। लेकिन साबित न किए जाने की वजह से वह हटा लिए गए। योगेंद्र ने कहा कि उन्हें जो आरोप पत्र इस बारे में दिया गया है, उसमें इन दोनों आरोपों का जिक्र नहीं है। उधर, शांति भूषण ने कहा है कि मैं भी बागी हूं। मुझे क्यों नहीं निकाला गया?
केजरीवाल को पहचानने में भूल हुई- शांति भूषण
आम आदमी पार्टी (आप) से चार बागी नेताओं को निकाले जाने के बाद पार्टी में बगावत और तेज हो गई है। पार्टी के संस्थापक सदस्य शांति भूषण ने कहा कि केजरीवाल को पहचानने में उनसे भूल हुई। केजरीवाल जैसे दिखते हैं वैसे हैं नहीं। उनका असली चेहरा देश के सामने आ गया है। केजरीवाल काठ की हांडी की तरह व्यवहार कर रहे हैं लेकिन उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह आग पर एक बार ही चढ़ती है बार-बार नहीं।
अनुशासन समिति पर उठे सवाल
आप की राष्ट्रीय अनुशासन समिति की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देते हुए भूषण और यादव ने अनुशासन समिति पर ही सवाल उठाए हैं। अपने जवाब में प्रशांत भूषण ने 28 मार्च को हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद बनी यह समिति ही असंवैधानिक है। उन्होंने अनुशासन समिति में पंकज गुप्ता और आशीष खेतान की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए। खेतान पर प्रशांत भूषण ने ‘प्लान्टेड’ खबर लिखने का आरोप भी लगाया है। लेकिन इन आरोपों की जांच करने बजाय पार्टी ने उन्हें दिल्ली डायलॉग कमीशन नाम की संस्था का अध्यक्ष और अनुशासन समिति का सदस्य बना दिया गया है। संदिग्ध कंपनियों से कथित तौर पर दो करोड़ रुपये चंदे के तौर पर स्वीकार करने का जिक्र करते हुए भूषण ने कहा कि पार्टी के तत्कालीन लोकपाल एडमिरल एल. रामदास के पास यह मामला भेजने के बजाय लोकपाल को ही पद से हटा दिया गया।